कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Deepfake Video Report On Youtube: गुगल के वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यानी Youtube ने यूजर्स की सिक्योरिटी को सुरक्षित रखने के लिए अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में नई चीजों को शामिल किया है। जिससे यूजर्स किसी भी एआई जेनरेटेड कॉन्टेंट या फिर डीपफेक वीडियो की रिपोर्ट कर सकते हैं। अगर यूजर्स को ऐसा लगता है कि किसी भी वीडियो कंटेंट में उसकी आवाज या फेस का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वो उस वीडियो की रिपोर्ट कर सकता है। आईये इसके बारे में जानते हैं कि, ये कैसे काम करेगा और यूट्यूब की नई सर्विस क्या है?

यूजर्स को मिलेगी राहत
पिछले कई महीनों से AI जेनरेटेड फेक वीडियो यानी डीपफेक वीडियो कॉन्टेंट के कई मामले सामने आए है, जिसमें चेहरे और वॉइस का गलत इस्तेमाल किया गया है। जिसके चलते यूट्यूब इस फीचर को, लोगों को राहत देने के लिए लेकर आया है। इससे यूजर्स को प्राइवेसी की एक एडिशनल सिक्योरिटी लेयर मिलेगी, जिससे यूजर्स उस कॉन्टेंट की रिपोर्ट कर सकेंगे। वैसे ये कम्युनिटी गाइडलाइंस स्ट्राइक की तरह नहीं होगा, अगर किसी यूट्यूब क्रिएटर के चैनल पर तीन स्ट्राइक आ जाते है, तो उसके चैनल को डिसेबल कर दिया जाएगा।

रिव्यू के बाद रिमूव होगा कंटेंट
इस फीचर के जरिए यूजर्स किसी भी चैनल की रिपोर्ट कर सकेंगे। जिस पर उन्हें लगता है कि, उनके फेस या वॉइस का गलत इस्तेमाल किया गया है। इसमें यूजर्स की शिकायत को गोपनीय रखा जाएगा। बता दें कि रिपोर्ट को फिल करने के लिए आपके पहले एक फॉर्म फिल करना होगा। इसके बाद जिस कॉन्टेंट को रिपोर्ट किया गया है, उसको यूट्यूब की टीम रिव्यू करेगी। अगर रिव्यू टीम को रिपोर्ट वैलिड लगती है, तो वो उस कॉन्टेंट को प्लेटफॉर्म से रिमूव कर देंगे।

2023 से प्रोसेस में है नया फीचर
YouTube ने अपने ब्लॉग पोस्ट में इस नए फीचर के बारे में बताया कि, यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर AI जेनरेटेड कॉन्टेंट के लिए प्राइवेसी रिक्वेस्ट प्रोसेस को एक्सपेंड किया जा रहा है, जिससे फेस और वॉइस को पहचाना जाएगा। कंपनी ने इसके लिए नवंबर 2023 में यूजर्स को डीपफेक से प्रोटेक्ट करने के लिए, इस इनोवेशन की शुरुआत की थी।

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