एक वृद्ध बंदर अपने बच्चे के साथ पेड़ की डाली पर बैठा हुआ था। बच्चा बोला, मुझे भूख लगी है। क्या आप मुझे खाने के लिए कुछ पत्तियां दे सकते हैं? वृद्ध बंदर मुस्कुराया, मैं दे तो सकता हूं, पर अच्छा होगा तुम खुद ही अपने लिए पत्तियां तोड़ लो। तुम चाहो तो नीचे की डालियों से पुरानी कड़ी पत्तियां चुन सकते हो या ऊपर की पतली डालियों पर उगी ताजी-नरम पत्तियां तोड़ कर खा सकते हो।
बच्चा बोला, भला ये अच्छी-अच्छी पत्तियां नीचे क्यों नहीं उग सकतीं। वृद्ध बंदर बोला- अगर वे सबकी पहुंच में होती तो उनकी उपलब्धता कहां हो पाती। उनके बढ़ने से पहले ही उन्हें तोड़ कर खा लिया जाता। लेकिन इन पतली डालियों पर चढ़ना खतरनाक हो सकता है। बच्चे ने अपनी चिंता जताई। वृद्ध बंदर बोला, एक बात हमेशा याद रखो। हम अपने दिमाग में खतरे की जो तस्वीर बनाते हैं, अक्सर खतरा उससे कहीं कम होता है। अगर ऐसा है तो हर एक बंदर उन डालियों से ताजी पत्तियां तोड़ कर क्यों नहीं खाता? बच्चे ने पूछा।
वृद्ध बंदर बोला, क्योंकि ज्यादातर बंदरों को डर कर जीने की आदत पड़ चुकी होती है। वे सड़ी-गली पत्तियां खाकर उसकी शिकायत करना पसंद करते हैं, पर कभी खतरा उठा कर वो पाने की कोशिश नहीं करते जो वो सचमुच पाना चाहते हैं। अपने डर को जीतो और जाओ ऐसी जिंदगी जियो जो तुम सचमुच जीना चाहते हो।
अपने सपनों को हासिल जरूर करें
फ्रेंड्स, हमें भी इस बात को समझना होगा कि हम अपने दिमाग में खतरे की जो तस्वीर बनाते हैं, अक्सर खतरा उससे कहीं कम होता है। अगर आपके कुछ सपने हैं। कुछ ऐसा है जो आप हासिल करना चाहते हैं तो उसे जरूर करिये। आपकी हिम्मत ही आपको आपकी मनचाही जिंदगी दे सकती है, डर कर बैठे रहने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
काम की बात
1. हम अपने दिमाग में खतरे की जो तस्वीर बनाते हैं, अक्सर खतरा उससे कहीं कम होता है।
2. आपकी हिम्मत ही आपको आपकी मनचाही जिंदगी दे सकती है, डर कर बैठे रहने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
अगर बार-बार असफल हो रहे हैं तो इस सच्ची कहानी से मिल सकती है जीत का मंत्र
अगर नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो याद रखें यह एक बात
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