चीन में हर पांच साल में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में तय किया जाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। कांग्रेस इसी हफ्ते शुरू हो रही है जिसमें महासचिव शी जिनपिंग की नई टीम सामने आएगी। इसलिए यहां सेंसर एक तरफ सीमाएं तय करने और दूसरी तरफ प्रचार करने की तैयारी में है।
चैट ऐप पर नियंत्रण
इसके लिए सोशल मीडिया पर ऐसे चुनिंदा शब्दों को खोजा जा रहा है जिनसे किसी भी तरह के विरोध के इरादे और देश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के मजाक उड़ाने का पता चलता है। ऐसे शब्दों को ब्लॉक किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, शी जिनपिंग के नाम और उनके मजाकिया नाम 'विनी द फूह' शब्दों वाले मैसेज मैसेजिंग ऐप वेब चैट पर नहीं जाएगा। शी जिनपिंग और पूर्व चीनी नेताओं के फनी स्टीकर्स भी चैट ग्रुप्स पर नहीं भेजे जा सकते हैं।
चीन में एक खुले समाज की सारी बातें दिखती हैं, बस स्टॉप्स पर हॉलीवुड फिल्मों का आकर्षक विज्ञापन, डिजिटल करेंसी का उपयोग आदि। लेकिन फिर भी शी जिनपिंग के पांच साल पहले सत्ता में आने के बाद राजनीतिक विचारों से लेकर यौन गतिविधियों तक नियंत्रण के लिए सार्वजनिक चर्चाओं को सेंसर किया जाता रहा है।
ओलम्पिक के वक्त आज़ादी
साल 2008 में ओलम्पिक खेलों के दौरान ऐसा महसूस हुआ जैसे यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बढ़ गई थी। स्थानीय सरकारों से बिना इजाज़त लिए विदेशी पत्रकारों को कहीं भी जाने की इजाजत दी गई थी। ये सब चीज़ें हैरान कर देने वाली थीं, उस वक्त भी गूगल सर्च को ब्लॉक नहीं किया गया था। चीनी अखबारों और पत्रिकाओं में खोजी पत्रकारिता हुईं। ये सभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उदाहरण थे।
द ग्रेट फायरवॉल
आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि 'आप इंटरनेट को नियंत्रित नहीं कर सकते', लेकिन चीनी अधिकारियों ने ऐसा कर दिखाया है।
इंटरनेट से जुड़ने के बजाए देश में चीन की ग्रेट फायरवॉल की सीमाओं के बीच इंटरानेट जैसी सुविधा है। यहां फेसबुक, ट्विटर जैसी साइट्स तक अधिकतर लोगों की पहुंच नहीं है। इसके लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) की जरूरत पड़ती है।
ऐसे में वीपीएन के इस्तेमाल को रोकने की कोशिश की गई। सरकार ने एप्पल पर चीनी ऐप स्टोर से अपने सभी वीपीएन हटाने का दबाव डाला और कंपनी को ऐसा करना पड़ा।
सालों पहले गूगल को भी ऐसी चेतावनी दी गई थी। गूगल से चीनी अधिकारियों को सर्च रिजल्ट्स को सेंसर करने की अनुमति देने की मांग की गई थी जिसे न मानने पर गूगल को ब्लॉक कर दिया गया।
इसी तरह से मैसेजिंग ऐप वीचैट पर कुछ प्रमुख शब्दों को सेंसर किया जाता है। इसे देश की सुरक्षा से भी जोड़ा जा सकता है। नए नियमों के मुताबिक इसके लिए ग्रुप का एडमिन जिम्मेदार माना जाता है।
प्रेस पर कड़ा नियंत्रण
यह किसी से छुपा नहीं है कि सभी चीनी अखबार और टेलीविज़न चैनल चीनी सरकार के नियंत्रण में हैं।
पिछले साल शी जिनपिंग ने पीपल्स डेली न्यूजपेपर, शिन्हुआ वायर सर्विस और स्टेट ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी का दौरा करने पर पत्रकारों से पूर्ण वफादारी की मांग की थी, जिन्हें "राजनीति, विचार और क्रिया" में पार्टी के नेतृत्व का पालन करना चाहिए।
लेकिन, अगर कुछ पत्रकारों तक ये बात न पहुंची हो, तो इस साल के कांग्रेस की कवरेज को नियंत्रित करने के लिए नियमों का एक सेट भेजा गया है, जिसमें विशेषज्ञों या विद्वानों के साथ होने वाले सभी इंटरव्यू के लिए आउटलेट की 'वर्क यूनिट लीडरशिप' और सेंट्रल प्रोपेगेंडा डिपार्टमेंट से अनुमति लेना जरूरी है।
सेलिब्रिटी स्कैंडल्स और संपन्न और लोकप्रिय लोगों से जुड़ी नकारात्मक रिपोर्टों वाले प्रसिद्ध ब्लॉग्स भी बंद करवा दिए गए हैं।
शी जिनपिंग का प्रचार
सरकार से किसी भी तरह के असंतोष को दबाकर पार्टी सिर्फ़ चीन की अच्छी बातों पर ध्यान केंद्रित कराने की कोशिश कर रही है और इसमें शी जिनपिंग छाए हुए हैं।
चीनी सरकार की हाल की उपलब्धियों को बताने वाली एक प्रदशर्नी का आयोजन किया गया है। इसमें विज्ञान, परिवहन, सेना, अर्थव्यवस्था और खेल में उपलब्धियों को अलग-अलग बड़े कमरों में दिखाया गया है जो शी जिनपिंग की बड़ी-बड़ी तस्वीरों से भरे पड़े हैं। यहां करीब 100 तस्वीरें लगाई गई हैं।
अंग्रेज़ी अखबार चाइना डेली रोज़ाना अलग-अलग गांवों, शहरों और नगरों में शी जिनपिंग के दौरे के बाद हुए बदलाव पर फ्रंट पेज स्टोरी दे रहा है।
कुछ लोग इस तरह की रिपोर्टिंग का मजाक भी उड़ा रहे हैं जिनमें एक नेता को भगवान की तरह दिखाया जाता है। चीनी अधिकारियों के भाषणों में भी शी जिनपिंग का जिक्र ज़रूर होता है।
ऐसे में, कुछ इस तरह की स्थितियां बनी हुई हैं कि प्रशासन बिना कोई कारण दिए कुछ भी बंद कर सकता है। एडिटर, कार्टूनिस्ट, रिपोर्ट्स, डायरेक्टर्स, ब्लॉगर्स, कॉमेडियंस, सोशल मीडिया के एडमिनिस्ट्रेटर्स और आम चीनी नागरिक सभी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर कोई बात कह रहे हैं।
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