अराफ़ात की आधिकारिक मेडिकल रिपोर्ट के हिसाब से साल 2004 में उनकी मौत ख़ून में हुई किसी गड़बड़ी की वजह से हुए दिल के दौरे की वजह से हुई थी.
हालांकि उनकी हत्या किए जाने के दावों के चलते पिछले साल अराफ़ात के शव को खोद कर निकाला गया था.
स्विस रिपोर्ट के अनुसार उनके शरीर पर किए गए टेस्ट के नतीज पोलोनियम की बेहद अधिक मात्रा दिखाते हैं जिससे ज़हर दिए जाने संबंधी दावों को बल मिलता है.
बहुत से फ़लस्तीनी लोगों का मानना है कि इस्रायल ने अराफ़ात को ज़हर दे दिया. जबकि कुछ अन्य लोग यह भी कहते हैं कि उन्हें कैंसर या एड्स जैसी बीमारी थी.
हालांकि इस्रायल ने इसमें अपना हाथ होने से इंकार किया है.
इस्रायली विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि स्विस रिपोर्ट विज्ञान से ज़्यादा एक धारावाहिक की कहानी है.
क़मज़ोर पहलू
स्विट्ज़रलैंड के वोदुवा विश्वविद्यालय अस्पताल केन्द्र में अराफ़ात के मेडीकल रिकॉर्ड का गहन परीक्षण किया गया जिसमें उनके अवशेषों के नमूने, और वे चीज़ें शामिल हैं जो वे पैरिस के अस्पताल ले गए थे जहां 2004 में उनकी मौत हुई.
अस्पताल ने पाया है कि नतीजे सामान्य रूप से इस बात की ओर संकेत करते हैं कि उनकी मौत पोलोनियम 210 के ज़हर की वजह से हुई.
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि वह किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं क्योंकि अराफ़ात की मौत को काफ़ी वक्त गुज़र चुका है,बेहद सीमित नमूने उपलब्ध हैं और संरक्षण के क्रम में कुछ नमूने भ्रम पैदा करते हैं.
पोलोनियम 210 एक उच्च रेडियोधर्मी पदार्थ है. ये खाने में कम मात्रा में पाया जाता है और शरीर में प्राकृतिक रूप से बनता है लेकिन इसका ज़्यादा मात्रा में शरीर में जाना घातक हो सकता है.
इसी तरह की जांच फ्रांस और रूसी विशेषज्ञ भी कर रहे हैं लेकिन एक रूसी अधिकारी ने पिछले ही हफ़्ते कहा कि पोलोनियम के अंश नहीं पाए गए.
इस्रायली विदेश मंत्रालय के यिगाल पामर ने बीबीसी से कहा कि यह विज्ञान से ज़्यादा एक धारावाहिक की कथा है.
उनका कहना था कि ये जांच कुछ निहित दिलचस्पी वाली पार्टियां यानी अराफ़ात की पत्नी और फ़लस्तीनी प्राधिकरण करवा रही है और उन्होने अहम आंकड़े देखने की ज़हमत नहीं उठाई है.
पामर ने ये भी कहा कि '' कहानी में एक बड़ा छेद ये भी है कि फ्रांस के जिस अस्पताल में अराफ़ात की मौत हुई और उनकी मेडिकल फ़ाइलों तक पहुंचने का कोई भी ज़रिया नहीं है. डॉक्टरों की राय या मरीज़ पर किए गए मेडिकल परीक्षणों के नतीजे जाने बिना मौत का कारण कैसे निश्चित हो सकता है. इस्रायल को इन सब चीज़ों की कोई चिंता नहीं है.''
मेडिकल प्रमाण
पैरिस में अराफ़ात की पत्नी सुहा ने कहा कि स्विस जांच के नतीजे ''एक अपराध, एक राजनैतिक हत्या को उजागर करते हैं''. इसने हमारे शक़ को सही साबित किया है. यह वैज्ञानिक तौर पर साबित हो गया है कि उनकी मौत प्राकृतिक नहीं थी और हमारे पास इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि उनकी हत्या की गई थी.''
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ उन्होने किसी पर शक़ ज़ाहिर नहीं किया और माना कि उनके पति की ज़िंदगी में कई दुश्मन थे.
यासिर अराफ़ात ने 35 बरस तक फ़लस्तीन मुक्ति संगठन की कमान संभाली और 1996 में फ़लस्तीनी प्राधिकरण के पहले राष्ट्रपति बने.
अक्तूबर 2004 में वे बहुत ज़्यादा बीमार पड़ गए. दो हफ़्ते बाद उन्हें फ्रांस के पैरिस स्थित सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहां 11 नवंबर 2004 को उनकी मौत हो गई.
अल जज़ीरा चैनल की एक डॉक्यूमेंट्री पर काम कर रहे वैज्ञानिकों को अराफ़ात के नमूनों में पोलोनियम 210 के अंश मिलने के बाद फ्रांस ने अगस्त 2012 में हत्या के मामले की जांच शुरू की.
हालांकि अराफ़ात की मौत के समय उनकी पत्नी ने पोस्टमॉर्टम का विरोध किया था लेकिन उन्होने फ़लस्तीनी प्राधिकरण से कहा कि सच का पता लगाने के लिए उनके शव को खोद कर निकालने दिया जाए जिसके बाद नवंबर 2012 में उनके अवशेष निकाले गए थे.
International News inextlive from World News Desk