इस इमारत की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ विंस्टन चर्चिल और डेविड लॉयड जॉर्ज का दफ्तर यहीं हुआ करता था, तब इसे ‘वार ऑफिस’ के नाम से जाना जाता था.
अब आर्थिक कारणों से सरकार इसे बेचने जा रही है.
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री फिलिप हैमंड को उम्मीद है कि ‘वार ऑफिस’ को बेचने से 100 मिलियन पाउंड या तकरीबन नौ अरब 85 करोड़ रुपए के करीब रकम मिल जाएगी.
रक्षा मंत्री ने कहा है कि दफ्तर में काम कर रहे नौकरशाह रक्षा मंत्रालय की दूसरी इमारत में चले जाएंगे.
उन्होंने कहा है कि रक्षा महकमे के सारे कर्मचारियों के एक ही छत के नीचे काम करने से सालाना आठ मिलियन पाउंड के करीब की रकम बच जाएगी.
गुप्तचर शाखा
इस इमारत के निर्माण में ढ़ाई करोड़ ईंटें इस्तेमाल की गई हैं.
साल 1901 में ‘वार ऑफिस’ की इमारत की नींव पड़ी थी, इसके पूरा होने तक इस दफ्तर में ढ़ाई करोड़ ईंटों का इस्तेमाल हो चुका था.
साल 1910 में संसद में दिए गए एक जवाब में सरकार ने कहा था कि इस इमारत को बनाने में 1.2 मिलियन पाउंड की रकम का खर्चा बैठा था.
शुरुआती दौर में इस दफ्तर से काम करने वाले बड़े नामों में युद्ध मंत्री लॉर्ड हल्डाने, लॉर्ड किचनर और विंस्टन चर्चिल थे.
लॉरेंस ऑफ अरब ने सिनाई के इलाके का नक्शा भी इसी इमारत में बैठकर बनाया था.
40 के दशक में ‘वार ऑफिस’ में तैनात रहे एक अफसर ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि उस जमाने में सैन्य बलों और नौकरशाहों के बीच संघर्ष की स्थिति रहती थी.
द्वितीय विश्व युद्ध के दिनों में जर्मन हमलों में इस इमारत को कई बार निशाना बनाया गया था.
इन हमलों में तब एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी लेकिन इमारत को कोई बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा.
80 के दशक में इस इमारत की मरम्मत की गई और साल 1992 में इसे दोबारा खोल दिया गया. उस वक्त इसे रक्षा गुप्तचर शाखा के मुख्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.
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