World TB Day: क्या आप जानते हैं सुपरस्टार अमिताभ बच्चन टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस जैसी जानलेवा बीमारी को मात दे चुके हैं। वे आठ साल इस खतरनाक बीमारी से पीड़ित रहे। जी हां, वे खुद इस बात का खुलासा कर चुके हैं। आज यानी 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे पर हम इस बीमारी के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
सबमें होता है टीबी का बैक्टीरिया
टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया की वजह से होती है. ये संक्रामक बीमारी है। मगर, लाइलाज नहीं है.
दरअसल, टीबी का बैक्टीरिया अमूमन सबमें मौजूद रहता है, लेकिन इंफेक्शन बढ़ने के चांसेज ज़्यादातर कुपोषित में होते हैं। इसलिए डॉक्टर्स इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर देते हैं।
ये बरतें सावधानियां
डॉक्टर्स कहते हैं कि इस पीबित व्यक्ति इलाज बीच में न छोड़ें। अपनी इम्युनिटी को अच्छा रखें। मरीज को हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रखना चाहिए। मरीज स्प्लिट एसी से परहेज करे, क्योंकि बैक्टीरिया बाहर निकलने की बजाय दूसरों को बीमार करेगा। मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए। मरीज जगह जगह न थूकें। न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट लें। ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर न रहें, वहां जाने से परहेज करें। टीबी के मरीज से थोड़ा दूर रहें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी यूज करने से बचे। और धूप खाने से अिलकुल परहेज न करें। क्योंकि विटामिन डी शरीर में हड्डी की मजबूती के लिए अहम है।
ऐसे हुई टीबी डे की शुरुआत
24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी. डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई. उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.का बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाने का ऐलान हुआ था।
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