ईरान के विदेश मंत्री ने कोई न कोई राह निकलने की उम्मीद ज़ाहिर की है लेकिन साथ ही कहा है कि इस प्रक्रिया में वक्त ज़्यादा ख़र्च होगा.
तुलनात्मक रूप से उदारवादी समझे जाने वाले ईरान के नए राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पहले ही कहा है कि वो चाहते हैं कि इस मसले पर छह महीने के भीतर ही कोई समझौता हो जाए.
पश्चिमी देश लगातार ये शक़ ज़ाहिर करते रहे हैं कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम की आड़ में हथियार बना रहा है जबकि ईरान इस बात से इनकार करता रहा है.
इसराइल का रूख़
जिनेवा में शुरू होने वाली बातचीत से पहले इसराइल ने चेतावनी दी है कि ईरान को ढील देना ‘ऐतिहासिक ग़लती’ होगी.
बेंजामिन नेतन्याहू ईरान के ख़िलाफ़ कड़ा रूख़ बरक़रार रखने की वक़ालत करते हैं.
सोमवार को इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि ईरान के साथ नरमी बरतने का मतलब 'अड़ियल रवैये' को मज़बूती देना होगा और इससे ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अल ख़मेनेई को विजेता के तौर पर देखा जाएगा.
ईरान पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों पर नेतन्याहू ने कहा है कि इस वक्त जब प्रतिबंध सबसे ज़्यादा प्रभावी हैं तब उन्हें हटाना ऐतिहासिक ग़लती होगी.
हालांकि प्रतिबंधों पर कड़ा रूख़ रखने वाले अमरीका में भी नौ सीनेटर इस बात के लिए तैयार हैं कि अगर ईरान परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिए अहम क़दम उठाता है तो उस पर नए प्रतिबंधों को रद्द कर दिया जाए.
राष्ट्रपति बराक ओबामा को लिखे एक पत्र में सीनेटरों ने कहा है कि तब तक सैन्य ताक़त का डर बना रहना चाहिए.
समझौते की राह
"कल एक कठिन औऱ वक्त लेने वाली प्रक्रिया की शुरूआत है. मैं उम्मीद करता हूं कि बुधवार तक हम समझौते की राह का कोई ख़ाका तैयार कर पाएंगे."
-मोहम्मद जवाद ज़रीफ़, विदेश मंत्री, ईरान
ईरान की बातचीत पी 5 प्लस 1 कहे जाने वाले देशों के समूह के साथ होगी. इसमें ब्रिटेन चीन,फ्रांस,रूस, अमरीका समेत जर्मनी भी शामिल है.
ईरान की अगुआई विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ करेंगे हालांकि असल बातचीत की ज़िम्मेदारी उनके सहयोगी अब्बास अराक़ची के कंधों पर होगी.
ज़रीफ़ ने अपने फ़ेसबुक पन्ने पर लिखा, ''कल एक कठिन औऱ वक्त लेने वाली प्रक्रिया की शुरूआत है. मैं उम्मीद करता हूं कि बुधवार तक हम समझौते की राह का कोई ख़ाका तैयार कर पाएंगे.''
अगस्त में हसन रूहानी के सत्ता संभालने के बाद यह इस तरह की पहली वार्ता है जिससे उम्मीदें बंधी हैं कि किसी समझौते तक पहुंचा जा सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय वार्ताकारों का कहना है कि वह ईरान के विचार सुनने के लिए तैयार हैं.
ईरान का परमाणु कार्यक्रम लगातार विवादों में रहा है. पश्चिमी देशों को शक़ है कि वह परमाणु हथियार बना रहा है.
जिनेवा से बीबीसी संवाददाता जेम्स रेनॉल्ड्स का कहना है कि वार्ताकार चाहते हैं कि ईरान ऐसे क़दम उठाए जिससे वह कभी भी परमाणु हथियार ना बना सके.
इसके बदले में कुछ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को उठाने का वायदा किया जा रहा है. हालांकि पश्चिमी देशों ने संकेत दिया है कि दो दिन के अंदर किसी समझौते पर पहुंचना मुश्किल है.
एक वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी ने कहा है कि ''रातों रात किसी अहम परिणाम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.''
'एक दाना बाहर नहीं जाने देंगे'
पश्चिमी देशों का मानना है कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम की आड़ में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल कर रहा है.
जबकि ईरान कहता है कि वह परमाणु तकनीक में महारत हासिल कर बिजली उत्पादन औऱ चिकित्सा संबंधी शोध करना चाहता है.
ईरान पी5 प्लस 1 समूह के साथ साल 2006 से बातचीत कर रहा है क्योंकि वह चाहता है कि उस पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हटा लिए जाएं.
वहीं पश्चिमी देश चाहते हैं कि ईरान अपना यूरेनियम उत्पादन और संवर्धन कार्यक्रम रोक दे. साथ ही कुछ भंडार देश से बाहर भेज दे और फ़ोर्दू उत्पादन स्थल बंद कर दे जहां ज़्यादातर संवर्धन किया जाता है.
हालांकि उप विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने कहा है कि संवर्धित यूरेनियम को त्यागने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
ईरान के सरकारी टीवी की वेबसाइट पर लगे उनके बयान के मुताबिक़ उनका कहना है कि ''हम यूरेनियम का एक दाना भी देश से बाहर नहीं जाने देंगे.''
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