फ़ोटोज़ ने कई रंग रूप बदले हैं और कैमरे में तकनीक भी काफ़ी बदली है।
'वर्ल्ड फोटोग्राफ़ी डे' पर एक नज़र इस बदलते रंग रूप पर, कुछ बेहतरीन कैमरों पर और कुछ शानदार तस्वीरों पर।
ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय की ये फ़ोटो 'महाटा एंड कंपनी' ने खींची थी। 60 के दशक में वो भारत आई थीं।
'महाटा एंड कंपनी' पिछले 100 साल से फ़ोटो खींच रही है।
'डुअल लेंस कैमरा'। ये कैमरा दिल्ली के 'दास स्टूडियोज़' के पास है और इसमें एक लेंस से फ़ोकस किया जाता है और दूसरे से फ़ोटो खींची जाती है।
बेल एंड हॉवेल कैमरा। ये कैमरा 'दास स्टूडियोज़' ने 60 और 70 दशक में आयात किए और उनके मुताबिक़ ये कैमरा बहुत बिकता था।
रोलिकॉर्ड कैमरा। इस कैमरे में फ़्लैश के लिए हर वक़्त एक नया बल्ब लगाया जाता था, क्योंकि फ़ोटो खींचने के साथ ही बल्ब फूट जाता था।
पर्सिस कमबाटा। ये तस्वीर भारतीय अभिनेत्री पर्सिस कमबाटा की है। ये तस्वीर 12 मई 1970 में 'महाटा एंड को' ने खींची थी।
बोलेक्स कैमरा। बोलेक्स एक स्विस कंपनी है जिसके कैमरे 50 के दशक में काफ़ी महंगे बिकते थे।
दलाई लामा। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की ये दुर्लभ तस्वीर 'महाटा एंड को' ने खींची थी।
फ़िल्म कैमरा। इस कैमरे से फ़िल्म बनाई जाती थी।
तस्वीर में आप इस कैमरे के अंदर रील लगाने की जगह भी देख सकते हैं।
जवाहर लाल नेहरू। नेहरू की ब्लैक एंड वाइट तस्वीर को 'हैंड टिंट' करके रंगीन तस्वीर में तब्दील किया गया था।
पर अब ये तकनीक ख़त्म हो चुकी है।
दिल्ली का जंतर मंतर।
दिल्ली का जंतर मंतर भले ही आज धरना प्रदर्शनों की जगह बन गया हो लेकिन यह बीते ज़माने में खगोलीय तरीके से समय मापने का केंद्र होता था।
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