कानपुर। इमोजी के जरिये बिना शब्दों के संवाद कैसे आसान हो गए हैं, शायद किसी को यह बताने की जरुरत नहीं है। आज यानी कि 17 जुलाई को दुनिया भर में विश्व इमोजी दिवस मनाया जा रहा है। बता दें कि इमोजी एक तरह के पिक्टोग्राफ होते हैं। 'इमोजी' जपानी भाषा के शब्द इ (पिक्चर) और मोजी (पात्र) से मिलकर बना है। इमोजी आइडियोग्राम या स्माइली होते हैं, जिनका फोन में मैसेज और चैटिंग के दौरान उपयोग किया जाता है। हमें फोन के चैटिंग बॉक्स में चेहरे के हावभाव, जगह, मौसम, जानवर, हाथों की एक्शन, घर, गाडियां, पेड़-पौधे, फूल, गिफ्ट और भी कई चीजें इमोजी के रूप में दिखाई देती हैं। उनके जरिये किसी को कोई भी बात बिना बोले आसानी से समझाया जा सकता है। एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि इमोजी हमारे आजकल के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है।
इमोजी से पहले था इमोटिकॉन्स
बता दें कि इमोजी की शुरुआत जापान से हुई थी। 90 के दशक के लास्ट में इमोजी सबसे पहले जापानी मोबाइल फोन पर दिखाई दिए थे, तभी से यह काफी पॉपुलर है। धीरे-धीरे पूरी दुनिया में इसका विस्तार हो गया। 1990 के दौरान जापान में लोग इमोजी से पहले इमोटिकॉन्स के जरिये संवाद करते थे, इसमें भी लोगों को कोई भी बात कहने की जरुरत नहीं पड़ती थी। सिर्फ मैसेज में कुछ नंबर के जरिये इशारों में बात करके किसी भी भाव को समझ जाते थे लेकिन धीरे-धीरे इसका दौर खत्म हो गया और इमोजी का शुरू हो गया। पहला इमोजी 1999 में जापानी कलाकार शिगेटाका कुरीता ने बनाया गया था। उस वक्त शिगेटाका कुरीता जापान की बड़ी टेलीकॉम कंपनी एनटीटी डोकोमो में काम करता था।
शुरू में बनाए 186 इमोजी
बताया जाता है कि कुरीता एक ऐसा आकर्षक इंटरफेस बनाना चाहता था, जिसके जरिये आसानी से संवाद हो जाये। इसलिए, उसने एक साथ मोबाइल और कंप्यूटर के लिए कई इमोजी बनाये और उनका इस्तेमाल भी किया। द वायर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कुरीता ने शुरू में कुल 186 इमोजी बनाये थे, जिन्हें अब अमेरिका के एक म्यूजियम में रखा गया है। उन इमोजी में चेहरे के हावभाव, जगह, मौसम, जानवर, हाथों की एक्शन, घर, दिल गाडियां, पेड़-पौधे, फूल, गिफ्ट और भी कई चीजों के चित्र थे। तब यह एक नए विज़ुअल मैसेज की शुरुआत थी। धीरे-धीरे यह जापान के साथ पूरी दुनिया में पॉपुलर हो गया।
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