नई दिल्ली (आईएएनएस)। World Dance Day: कुचिपुड़ी के एक्सपोनेंट और बिजनेस वोमेन शालू जिंदल के लिए, नृत्य एक पैशन है जो सालों से गहरा हुआ है। बचपन से ही शास्त्रीय कलाओं में डूबी, वह खुद को एक ऐसी कलाकार के रूप में देखती हैं, जो लगातार अपने को और बेहतर बनाने के प्रयास में लगी हैं। वर्ल्ड डांस डे पर आज हम उनके विचारों से आपको रूबरू करा रहे हैं।
बचपन से सीखा डांस
शालू ने बचपन से ही डांस करना शुरू कर दिया था। उनकी शुरुआत कत्थक डांस के साथ हुई और करीब 30 साल की उम्र में उन्होंने फेमस डांस गुरू राजा और राधा रेड्डी से कुचिपुड़ी डांस सीखना का स्टार्ट किया। जिंदल का कहना है कि कुचिपुड़ी नृत्य शैली के लिए उनका जुनून और प्यार होने के साथ उनके जीवन में एक मार्गदर्शक शक्ति बना हुआ है। एक बार उन्होंने कहा था कि कुचिपुड़ी मेरा स्वधर्म है। डांस ने उन्हें धैर्य, अनुशासन और प्रतिबद्धता के मूल्यों को सिखाया है।
जरूरी है इस विधा का विकास
शालू ने इंटरनेशनल लेबल पर परफॉर्म करके कुचिपुड़ी और भारत का सम्मान बढ़ाया है पर अब उन्हें लग रहा है कि यह अद्भुत नृत्य कला खत्म हो रही है क्योंकि इसके कुछ ही कलाकार और गुरु बचे हैं। इसलिए वे कुचिपुड़ी के लिए अपना प्यार साबित करना चाहती हैं और इस सुंदर डांस फॉर्म को बढ़ावा देने के लिए अपनी लिमिट्उनका मानना है कि एक सच्चा कलाकार कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकता है और लगातार खुद को बेहतर बनाता है। इसी तरह एक कलाकार के रूप में उनकी जर्नी कुचिपुड़ी और भारतीय आर्ट फॉर्म को बढ़ावा देने के मिशन के साथ भी जारी है।
गिटार भी सीखा
जिंदल, जो इस शानदार डांस स्ठाइल की बेहतरीन डांसर होने के साथ संगीत से भी जुड़ी हैं। उन्होंने आठ साल की उम्र से, लुधियाना में जन्मी शालू ने सितार, गिटार, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और थियेटर की भी ट्रेनिंग ली है। वे कहती हैं कि वे अपने को खुशनसीब मानती हैं कि उनके पेरेंटस ने इन सारी चीजों को सीखने और उनसे जुड़ने के लिए मोटिवेट और सपोर्ट किया। वे कहती हैं कि सभी पेरेंटस को अपने बच्चों को भारतीय कलाओं से जुड़ने के लिए उत्साहित करना चाहिए। कोई भी कला के व्यक्ति को और अधिक अनुशासित, केंद्रित और जीवन में सफलता के लिए प्रेरित करती है।
लॉकडाउन के बीच अपने को बेहतर बनायें
शालू जेएसपीएल फाउंडेशन की मदद से एक स्कॉलरशिप शुरू करने के प्रयास में लगी हैं ताकि जो यंग कलाकार सीखना चाहते हैं उनके लिए, स्पेशियली जो कुचिपुड़ी आर्ट सीखने के लिए अपने जीवन को समर्पित करना चाहते हैं। लॉकडाउन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर चीज की तरह लॉकडाउन की अपनी सकारात्मकता और नकारात्मकता है। इसने सभी के व्यस्त जीवन में ठहराव का बटन दबा दिया है। वे घर में सीखने, आराम और काम करने में अपना समय बिताने की पूरी कोशिश कर रही हैं। वे जेएसपीएल फाउंडेशन की सीएसआर टीम के साथ काम कर रही हैं ताकि महामारी के इस समय में समाज के विभिन्न स्तरों के खतरों को कम किया जा सके। किताबों को पढ़ने के अलावा, नृत्य, योग, ध्यान, पूजा का अभ्यास करना और परिवार के साथ समय बिताना हये भी उनके रुटीन में शामिल है। आखिर में शालू कहती हैं कि उनके लिए नृत्य ध्यान के समान है जो आपको अपनी चेतना का विस्तार करने का एक तरीका बताता है। नृत्य आपको एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है जो तनाव से छुटकारा दिलाता है और आपको खुशी महसूस करने का मौका देता है।
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