ऐसी होने लगी हालत
जर्मनी में लोगों की जेब ढीली पड़ने लगी, लेकिन महंगाई लोगों के सिर चढ़ नाचने लगी। आलम ये हुआ कि यहां एक डॉलर के सामने मार्क (जर्मनी की तत्काल मुद्रा) की कीमत 4.2 हो गई। वॉर के समय ये बढ़कर 8.91 पर पहुंच गई। समय कुछ आगे बढ़ा और 1923 शुरू होते-होते स्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ने लगीं। मुद्रा विनिमय की स्थिति और भी ज्यादा गड़बड़ा गई।
ये हो गई मुद्रा विनिमय की हालत
स्थिति ये हो गई कि मुद्रा विनिमय की दर एक डॉलर के मुकाबले 42 हजार करोड़ जर्मन मार्क पहुंच गई। महंगाई दर 32 लाख 50 हजार फीसद तक पहुंच गई। देखते ही देखते राशन की कीमत भी दोगुनी होकर आसमान को छूने लगी। अब हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि करेंसी की कीमत एकदम ही नीचे आ गई। ये कीमत इतनी कम हो गई कि अब तो बच्चे नोटों की गड्डियों का महल बनाकर खेलने लगे।
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लोग गड्डियों का ऐसे करने लगे इस्तेमाल
सिर्फ बच्चे ही क्यों, बड़ों के लिए भी ये आम इस्तेमाल की चीज बन गई। अब तो लोग लकड़ी की जगह गड्डियों को जलाकर हाथ सेंकते थे। इस स्थिति को और सफाई से आप ऐसे समझ सकते हैं कि लोगों को सिर्फ सब्जी भर लेने के लिए थैला भरकर नोट ले जाने पड़ते थे। ऐसा करने के बावजूद उन्हें सिर्फ थोड़ा ही सामान बदले में मिल पाता था।
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