कानपुर। Womens Day 2020: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर, दुनिया भर की महिलाओं को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जाता है। इसलिए यह दिन पूरी तरह उनके लिए समर्पित है। हम सभी जानते हैं कि दुनिया में अवेयरनेस लाने के लिए सिनेमा एक सबसे अच्छा माध्यम है। सिनेमा समाज के कई पहलुओं को दर्शकों के सामने लाने और उनको सही संदेश देने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करता है। ऐसे में हम आपको टॉप 5 वोमेन सेंट्रिक बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने हाल के दौर में महिलाओं की ताकत, हौंसले और साहस को सेलिब्रेट किया है।
थप्पड़: तापसी पन्नू की हालिया रिलीज फिल्म घरेलू हिंसा के विषय पर बात करती है, यह एक हार्ड हिटिंग और थॉट प्रोवोकिंग फिल्म है जो तापसी ने अकेले अपने कंधों पर उठा कर चलने का साहस किया है। न केवल फिल्म में उनके शानदार परफार्मेंस को क्रिटिक्स से तारीफ मिल रही है, बल्कि फैंस भी इस तरह के सेंसटिव इशु को उठाने के उनके साहस को सलाम कर रहे हैं। फिल्म घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को अपनी आवाज कैसे उठानी चाहिए इस पर क्लियर और स्ट्रिकट मैसेज देती है। फिल्म को अनुभव सिन्हा ने डायरेक्ट किया है और शानदार काम के लिए उन्हें भई काफी अप्रिशियेसन मिल रहा है।
छपाक: दीपिका पादुकोण के लीड रोल वाली फिल्म छपाक में एसिड-अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी बताई गई है। उस पर 15 साल की उम्र में एक शख्स ने एसिड फेक दिया था। छपाक ने लक्ष्मी की इंस्पायरिंग जर्नी को भी हाई लाइट किया है कि कैसे उसने एसिड अटैक्स के अगेंस्ट अभियान शुरू किया और भारत में एसिड की बिक्री को रोकने के लिए एक जनहित याचिका भी दायर की। वह उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो कभी एसिड अटैक की शिकार हुई हैं। दीपिका पादुकोण ने अपनी भूमिका शानदार ढंग से निभाई और वे फिल्म की आत्मा हैं। क्रिटिक्स का अप्रिशिएसन पाने वाली इस फिल्म का डायरेक्शन मेघना गुलजार ने किया है।छपाक को इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मस्ट वॉच मूवीज की लिस्ट में रखना एक अच्छा ऑप्शन है।
पिंक: भारत में वोमेन सेंट्रिक फिल्मों के लिए एक और मील का पत्थर, फिल्म पिंक है, जिसमें तापसी पन्नू और अमिताभ बच्चन लीड रोल्स में हैं। ये फिल्म यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार पर एक मजबूत संदेश देती है। पिंक हमें बताती है कि ना का मतलब ना क्यों है और एक पुरुष के लिए यह जरूरी है कि वह किसी महिला के करीब आने से पहले उसकी परमीशन और सहमति मांगे। ये फिल्म निश्चित रूप से तापसी के करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक है।
लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का: ये फिल्म डिफरेंट एज की महिलाओं की दैहिक जरूरतों और इच्छाओं को बयान करती है। करेंट टाइम में ये एक पूरी तरह से निडर औऱ ईमानदार फेमिनिस्ट फिल्म है। लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का जिस सोसायटी में हम रहते हैं उसका आईना है। छोटे शहर की भीड़ भरी गलियों में रहने वाली चार औरतों की अपनी दुनिया से निकल एक छोटी सी आजादी की तलाश है जिनकी अपनी एक सीक्रेट लाइफ है।
मर्दानी: हाल में ही इस फिल्म का सीक्वल भी रिलीज हो गया है। ये कहानी है पुलिस अधिकारी शिवानी शिवाजी रॉय की जो रानी मुखर्जी बनी हैं। फिल्म के पहले भाग में जहां शिवानी बाल अपराध और ड्रग्स से जुड़े संगठित अपराधों के खिलाफ लड़ती है, वहीं दूसरे पार्ट में निर्देशक गोपी पुथ्रान उसके लिए एक ऐसा खलनायक लाए जिसे अपनी गलती तो नजर नहीं ही आती वो अपने अपराध को जस्टीफाइड में भी मानता है। वहीं जिस शहर में शिवानी की पोस्टिंग हुई है वहां के लोग एक महिला ऑफिसर के अंडर में काम करने को खास पसंद भी नहीं नहीं करते। यानि फिल्म महिलाओं के साथ क्राइम ही नहीं जेंडर अनइक्वेलिटी को भी सामने लाती है।
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