ख़बरों के अनुसार मछली के लिए सेक्स, जिसे स्थानीय भाषा में "जाबोया" कहा जाता है, को पश्चिमी कीनिया के लेक विक्टोरिया क्षेत्र में एचआईवी/एड्स फैलने के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है.
द स्टार अख़बार के अनुसार महिला संगठनों ने वहां इस चलन को ख़त्म करने के लिए एक अभियान शुरू किया है.
अंतर्राष्ट्रीय शोध और पर्यावरण विकास के विक्टोरिया संस्थान ने यह अभियान शुरू किया है. संस्थान महिलाओं को उनकी अपनी नाव देता है, जिसकी क़ीमत वे मछली का शिकार कर चुका सकती हैं.
'एड्स पर नियंत्रण'
संस्थान के फ़ील्ड अफ़सर डैन अबुटो कहते हैं कि नावों के लिए जो भुगतान हासिल होगा, उसे इकट्ठा किया जाएगा, जिससे और नावें बनाई जाएंगी.
उन्होंने द स्टार को बताया, "इस अभियान का उद्देश्य जाबोया को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा करार देना, ग़रीबी और लिंगभेद कम करना है. इसके साथ इसे आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से दुरुस्त भी रखना है."
मछली के लिए यौन संबंध बनाने के इस चलन से विधवाओं के प्रभावित होने की आशंका ज़्यादा होती है, ख़ासतौर पर अगर उनके ऊपर परिवार का बोझ भी हो.
"इस अभियान का उद्देश्य जाबोया को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा करार देना, ग़रीबी और लिंगभेद कम करना है."
-डैन अबुटो, फ़ील्ड अफ़सर, विक्टोरिया संस्थान
महिला संगठनों का कहना है कि 80 हज़ार शिलिंग (क़रीब 57,050 रुपए) की नावें न सिर्फ़ मछली के लिए यौन संबधों के चलन को रोकेंगी जिसे वे "उच्छृखंल" मानते हैं, बल्कि इससे एचआईवी संक्रमण के फैलाव पर भी रोक लगेगी.
एक स्थानीय अधिकारी ने द स्टार को बताया, " एचआईवी/एड्स के फैलाव के लिए आंशिक तौर पर जाबोया भी ज़िम्मेदार है. अगर यह अभियान सफल रहता है, तो इस बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकेगा."
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