अनजान नंबर की कॉल से शुरू हुआ मामला
केरल में एक एजुकेशनल कंसल्टेंसी फर्म की सीईओ और मोटिवेशनल स्पीकर श्रीलक्ष्मी सतीश के पास एक अनजान नंबर से फोन आया। उन्होंने फोन को नजरअंदाज कर दिया लेकिन उसके बाद से उनका फोन कई बार बजा और सभी अज्ञात नंबर थे। फिर भी जब उन्होंने कॉल अटेंड नहीं करने की ठानी तो टेक्स्ट मैसेजेस आने लगे। इन मैसेज में उनसे उनकी अवेलेबिलिटी, उनका 'रेट' और मिलने के समय के हिसाब सेकमरा बुक कर लेने के बारे में पूछा जाने लगा। होते होते टेक्सट मैसेज में यह 'रेट' 25 हजार तक पहुंच गया था। इस पर श्रीलक्ष्मी ने फोन ही स्विच ऑफ करना सही समझा।
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बात करके सच जानने का फैसला किया
फोन तो बंद कर दिया पर श्रीलक्ष्मी बहुत हैरान और परेशान हो गई थी, लेकिन उनकी यह स्थिति केवल एक घंटे के लिए रही। उसके बाद उन्होंने एक्शन लेने का फैसला किया। उन्होंने फोन ऑन किया और उन अज्ञात नंबरों में से एक पर डायल किया जहां से पहले फोन आए थे और उस व्यक्ति से बात की जो कि बहुत ज्यादा उत्साही लग रहा था। इसके बाद श्रीलक्ष्मी ने उसे अपनी प्रोफाइल के बारे में बताया, जिसे सुन कर वह माफी की भीख मांगने लगा। यह पता करना कठिन नहीं था कि उस शख्स को उनका नंबर कैसे मिला। उसने व्हाट्सऐप ग्रुप के उस बातचीत का स्क्रीनशॉट भेजा जहां एक आदमी ने श्रीलक्ष्मी को 'सुपर आइटम' बताकर नंबर पोस्ट किया था।
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परिचित निकला प्लानिंग करने वाला
उसके बाद श्रीलक्ष्मी को यह पता चला कि ग्रुप में जिस व्यक्ति ने उनका नंबर पोस्ट किया था वह उनका परिचित था जो कि शरीफ होने का मुखौटा पहनकर रखता था। तब एक राष्ट्रीय पार्टी की युवा शाखा की क्षेत्रीय सचिव रह चुकी श्रीलक्ष्मी ने पुलिस में मामला दर्ज करवाने की ठानी। पार्टी वर्कर्स को लगा कि श्रीलक्ष्मी पुलिस के पास जा रही है तो उसे कॉल करने लगे, माफी मांगने और कोर्ट के बाहर इस मामले को निपटाने की मांग करने लगे। उसकी केवल एक ही मांग भी कि उस शख्स को पार्टी से निकाला जाए और सबूत के तौर पर उन्होंने इस फैसले को लेकर पार्टी मीटिंग के मिनिट्स मांगे। श्रीलक्ष्मी को निश्चितसमय के अंदर पार्टी मिनिट्स मिल जाने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिस पर उन्होंने एफआईआर दायर करने का फैसला किया।
पिता को आगे कर मांगी माफी
पुलिस रिर्पोट के डर और बतौर नेता छवि खराब होने के डर से उस शख्स के बुजुर्ग पिता माफी और आधिकारिक शिकायत दर्ज न करने के लिए श्रीलक्ष्मी से मिलने आए। इस पर श्रीलक्ष्मी ने एक हट कर सजा देने का तरीका सोचा। उन्होंने उस शख्स के बुजुर्ग पिता से कहा कि वे अपने बेटे से कहें कि वह किसी भी चैरेटी संस्था में 25 हजार रुपए दान करें और सबूत के तौर पर बिल दे। उस इंसान को श्रीलक्ष्मी की शर्त माननी पड़ी और उसने वो रुपए दान किए।
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सोशल मीडिया में निकाला गुस्सा
हालाकि इसके बावजूद भी श्रीलक्ष्मी अपना गुस्सा नहीं रोक पाई और उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर पूरे प्रकरण की कहानी पोस्ट की जो कि 1317 शेयर्स, 1200 कमेंट्स और 4500 लाइक्स के साथ वायरल हो गई। कमेंट्स में फेसबुक यूजर्स ने श्रीलक्ष्मी को 'भावी नेता' को सबक सिखाने के लिए प्रशंसा की, वहीं कई ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इस पूरी घटना के ही सही होने पर सवाल उठा दिए। ऐसी लड़कियां भी थी जिन्होंने अपने साथ हुए ऐसे ही हादसों के अनुभव शेयर किए और श्रीलक्ष्मी से मदद और मार्गदर्शन भी मांगा।
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