हम अपने मनी सेक्टर में सबसे बड़ा चेंज क्या एक्सपेक्ट कर रहे हैं?

मनी सेक्टर मामला है पैसे का। लोगों को लगता है कि मैं डिजिटल पेमेंट क्यों करूं, ऐसा करता हूं तो क्या होगा। कहीं मेरा पैसा कहीं फंस न जाए, फंसा हुआ पैसा वापस मिलेगा भी या नहीं। फिर जब फोन कॉल्स के जरिए मनी फ्रॉड्स की बात होती है तो लोगों का डर और भी बढ़ जाता है। ऐसे में सबसे बड़ी चीज है लोगों को ये विश्वास दिलाना कि उनका पैसा बिलकुल सुरक्षित है और वो बिना किसी फ्रॉड के डर से डिजिटल ट्रांजेक्शंस कर सकते हैं। आने वाले वक्त में भी हमारे पास सबसे बड़ा चैलेंज यही होगा कि हम लोगों को साइबर सिक्योरिटी दें, क्योंकि अभीइसका दायरा काफी कम है। इस पर काम हो भी रहा है और ये इंप्रूव भी होगा।

 

पेटीएम ने इंडिया में 10,000 एटीम लॉन्च करने की बात कही है। इससे मोबाइल बैंकिंग की दुनिया में क्या बदलाव आएगा?

हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज ये था कि कोई कस्टमर किसी भी वॉलेट अकाउंट में अपने रुपए क्यों रखेगा जब हमारे पास उसे देने के लिए सिर्फ लिमिटेड ऑप्शंस ही थे। इंटरेस्ट भी नहीं था और कस्टमर्स आसानी से पैसा निकाल भी नहीं सकते थे। इसलिए अब पेटीएम एक बैंक हो गया है और अब ये रेग्युलर बैंक की तरह ही अपने कस्टमर्स को सेविंग्स बैंक अकाउंट, डेबिट काड्र्स और वॉलेट के साथ और भी कई फेसिलिटीज देगा।

 

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मोबाइल बैंकिंग मनी ट्रांजैक्शन का आसान माध्यम बन चुका है। डीमॉनिटाइजेशन के बाद इसमें क्या चेंजेज देखने को मिले हैं?

भारत डिजिटल बूम के दौर में है। इंडिया एक यंग डेमोग्राफी है जिसका मतलब है कि हम बहुत यंगहैं और नए आइडियाज और एक्सपेरिमेंट्स को लेकर ओपेन हैं। जब किसी देश की डेमोग्राफी यंग होती है तो वहां के लोग प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना प्रिफर करते हैं। हम चाहे डीमॉनिटाइजेशन की बात करें या एवरीडे बिजनेस की, यहां भी यंगस्टर्स का बड़ा रोल था क्योंकि उन्होंने पूरे दिल से मोबाइल पेमेंट के ऑप्शन को एक्सेप्ट किया और पेटीएम इन ऑप्शंस में से एक है। यहां टेक्नोलॉजी लैंडस्केप को डेवलप करने में मनी डेफिनेटली एक बड़ा फैक्टर बनेगा। पिछले चार सालों में इंडियन टेक्नोलॉजी कंपनीज को बड़ी तादाद में इंडियन कंज्यूमर्स मिले हैं। यही वजह है कि हमने भी फाइनेंशियल पेमेंट सिस्टम डेवलप किया। फाइनली इंडिया डोमेस्टिक और बड़े लेवल पर मनी ट्रांजेक्शंस से जुड़ी लेटेस्ट टेक्नोलॉजीस डेवलप कर रहा है।

 

लोगों को ये विश्वास दिलाना कि मोबाइल बैंकिंग मेनस्ट्रीम बैंक की तरह काम करेगा, एक बड़ा चैलेंज हो सकता है। लोगों का विश्वास जीतने के लिए क्या स्ट्रैटेजी होगी?

बिलकुल, सही कहा आपने। अगर हम सोसाइटी के टॉप सेगमेंट की बात करें तो इंडियन बैंक्स अपने कस्टमर्स को कई सारी फेसिलिटीज दे रही हैं। लेकिन जैसे ही हम सोसाइटी के लोअर सेक्शन की तरफ बढ़ते हैं, हम देखेंगे कि बैंकिंग उनके लिए आसान नहीं है। इसे आसान बनाने के लिए ही इंडियन गवर्नमेंट ने जनधन अकाउंट शुरू करवाए हैं। लेकिन हमारा आइडिया है कि कंज्यूमर्स को जनधन अकाउंट से ज्यादा की जरूरत है। इसलिए हमारी अप्रोच है कि हम अनसव्र्ड और अंडरसव्र्ड कस्टमर्स को अड्रेस करेंगे। तो आने वाले टाइम में हमारे प्राइमरी कंज्यूमर्स यही होंगे। हमें भरोसा है कि मेनस्ट्रीम बैंक्स के साथ हम एग्जिस्ट करेंगे क्योंकि एक इंडिविजुअल के पास दो बैंक अकाउंट्स होना कोई बड़ा इश्यू नहीं है। हायर इनकम ग्रुप को तो हम पहले से ही सुपीरियर मोबाइल बैंकिंग प्रोवाइड करने की कोशिश में हैं लेकिन लोअर इनकम ग्रुप के लिए हम पहली बैंक होंगे जो उनकी हेल्प करेगा।

 

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हमारी जो अप्रोच रूरल और अंडरसव्र्ड लोगों के लिए है वो मोबाइल बैंकिंग नहीं है वो असिस्टेंटबैंकिंग है। इसमें हम उन लोगों को इस तरह से फेसिलिटीज देंगे जैसे उनके पड़ोस में कोई दुकान है, कोई स्कूल है या कोई कॉलेज है या कोई शख्स है जिस पर वहां के लोग विश्वास करते हैं, तो उन जगहों को हम बैंकिंग प्वॉइंट्स में कनवर्ट कर देंगे। यानि जो लोग बैंकिंग नहीं जानते हैं, वो उन प्वॉइंट्स पर जाकर पैसा जमा कर सकते हें, निकाल सकते हैं। हम ऐसे प्वॉइंट्स एक लाख जगहों पर खोलेंगे जहां लोग किसी व्यक्ति के जरिए बैंकिंग कर पाएंगे। तो अप्रोच ये है कि मोबाइल लोगों को भले ही न समझ आता हो लेकिन मोबाइल से जो टेक्नोलॉजी बनी है, वो एक व्यक्ति उन तक जरूर पहुंचाएगा।

 

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विजय शेखर शर्मा - फाउंडर, पेटीएम, मोबाइल पेमेंट कंपनी
यूपी के अलीगढ़ से बिलांग करने वाले विजय शेखर शर्मा 2010 में पेटीएम कंपनी शुरू की थी। आज इस कंपनी की नेटवर्थ 1.47 बिलियन डॉलर है। विजय शेखर देश के सबसे युवा बिलिनेयर्स में भी शामिल हो चुके हैं।

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