24 साल की स्मिता ने साल 2011 में छत्तीसगढ़ पुलिस ज्वॉइन किया था। और अब वह भिलाई में महिला हेल्पलाइन के सोशल मीडिया सेल में तैनात है। स्मिता काफी ईमानदार तो हैं ही, साथ ही अपने दरियादिली के चलते काफी लोकप्रिय हुईं। साल 2013 की घटना है जब स्मिता के पिता काफी बीमार पड़ गए थे। उस समय स्मिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह पिता का इलाज करवा पाती। ऐसे में पिता की मौत के बाद स्िमता अंदर से टूट चुकी थी। फिर स्मिता को एहसास हुआ कि उनके पिता जैसे न जाने कितने लोग होंगे तो पैसों व इलाज के अभाव में जान गंवा देते हैं। बस यहीं से स्मिता ने अपने लिए एक नया रास्ता चुन लिया।
अपने साथ बीती दुखद घटना और दूसरों की मदद की इच्छा के चलते स्िमता ने मार्च 2015 में अपना फेसबुक एकाउंट बनाया। स्मिता ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया। जिसका मकसद पैसे इकठ्ठा कर जरूरतमंदों की मदद करना था। इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए स्मिता ने फेसबुक का सहारा लिया।
इस मुहिम के चलते स्मिता गरीब और लाचार लोगों की कहानी फेसबुक पर पोस्ट करती हैं। और लोगों से उनकी मदद की अपील करती हैं। शुरुआत में तो लोगों ने इसे फेक समझा लेकिन जब धीरे-धीरे मदद का सिलसिला आगे बढ़ा। तो लोग मदद के लिए आगे आए। स्िमता ने 20 महीने के अंदर फेसबुक पर काफी लोकप्रियता हासिल कर ली है। स्मिता के अब कुल 7 लाख 20 हजार फालोवर्स हो गए हैं।
स्िमता का मानना है कि लोग उनकी पोस्ट के कंटेंट की वजह से उनसे जुड़ते हैं। यह लेडी कांस्टेबल अब तक अस्पताल के बिल भरने में 25 गरीब लोगों की मदद कर चुकी है। फेसबुक की बात की जाए मो उनके माध्यम से मदद पाने वालों की संख्या सैकड़ों में है। स्िमता की फेसबुक प्रोफाइल पर उन तमाम लोगों की कहानियां भी पढ़ी जा सकती हैं। जिन्हें स्िमता ने आर्थिक मदद मुहैया करवाई या करवाने की कोशिश की।
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