व्हाट्सएप्प मैसेज कंपनी भी नहीं पढ़ सकती!
आईएएनएस। भारत में व्हाट्सएप्प द्वारा फेक न्यूज तेजी से फैलने के विवाद के बाद, एक टेक एक्सपर्ट ने कंपनी से पूछा है, वो इस बात का खुलासा क्यों नहीं कर सकते कि देश में जनरेट हुआ कोई भी व्हाट्सएप्प मैसेज कहां से चला है। इस सवाल के जवाब में व्हाट्सएप्प ने कहा है कि ऐसा करना फिलहाल संभव नहीं है, क्योंकि व्हाट्सएप्प मैसेज ऐंड टू ऐंड एनक्रिप्शन बेस्ड होते हैं, यानि किसी मैसज को सिर्फ भेजने और रिसीव करने वाला यूजर ही पढ़ सकता है। यहां तक कि किसी मैसेज को कंपनी भी नहीं पढ़ सकती।
व्हाट्सएप्प मैसेज का एनक्रिप्शन हटाना यानि लोगों की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़
हाल ही में एक मीडिया वर्कशॉप में व्हाट्सएप्प के प्रवक्ता ने कहा है कि किसी मैसेज की उत्पत्ति का पता लगाना फिलहाल पॉसिबल नहीं है, जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन प्रदान करता है और इसके लिए कंपनी को व्हाट्सएप को फिर से आर्किटेक्ट करना होगा। यानि हम एक अलग तरह के उत्पाद को बनाने की शुरुआत करें और ऐसा करना मौलिक रूप से प्राइवेसी से रहित होगा। कंपनी का कहना है कि मान लीजिए कि आपके द्वारा भेजा गया हर संदेश आपके फोन नंबर के रिकॉर्ड और इस फैक् ट के रिकॉर्ड के साथ रखा जाए कि आपने इसे भेजा है। तो वास्तव में व्हाट्सएप्प प्राइवेट कम्यूनीकेशन के लिए नहीं रह जाएगा। कंपनी के मुताबिक व्हाट्सएप्प एक ब्रॉडकास्ट प्लेटफॉर्म नहीं है। यहां भेजे जाने वाले 90 परसेंट मैसेज किन्हीं दो यूजर्स के बीच भेजे जाते हैं।
व्हाट्सएप्प हर महीने बंद कर रहा है लाखों अकाउंट्स
कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक व्हाट्सएप्प बल्क मैसेज और ऑटो मैसेज करने वाले लगभग 20 लाख अकांउस हर महीने बंद कर रहा है। देश में होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान तमाम व्हाट्सएप्प ग्रुप्स द्वारा फेक और बेवजह के मैसेज भेजे जाने के प्रयासों को रोकने के लिए कंपनी ऐसा कर रही है।
'शेयर जॉय, नॉट अफवाह' कैंपेन का अगला चरण शुरु
कंपनी ने कहा है कि व्हाट्सएप ने सोमवार को लोकसभा चुनाव से पहले अपने प्लेटफॉर्म के जिम्मेदार उपयोग को प्रमोट करने के लिए" शेयर जॉय, नॉट अफवाह " जागरुकता अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ किया है। व्हाट्सएप इंडिया के प्रमुख अभिजीत बोस ने हाल ही में एक बयान में कहा कि व्हाट्सएप पर वायरल कंटेंट को सीमित करने और यूजर्स को शिक्षित करने के लिए हमने हाल ही में जो बदलाव किए हैं, उनका प्रभाव पड़ रहा है। इस दिशा में और भी बहुत कुछ है जो हम कर सकते हैं और आगे करेंगे भी।
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