स्कूल बस का रंग पीला ही क्यों
किसी भी स्कूल बस को पीले रंग से यूं ही पेंट नहीं कर दिया जाता है, बल्कि बहुत सोच समझकर बच्चों के हित का ध्यान रखते हुए दुनिया भर की स्कूली बसों को यह रंग दिया गया है। हम सब जानते हैं कि रोड ट्रैफिक लाइट सिस्टम में लाल, पीली और हरे 3 रंगों की लाइटें होती हैं। इनमें से लाल रंग ही सभी को सबसे ज्यादा दमदार नजर आता है। तभी तो हर गाड़ी की टेल लाइट लाल ही होती है। बता दें कि फीजिक्स की भाषा में लाल रंग की वेवलेंग्थ सभी रंगों में सबसे ज्यादा होती हैहै, इसलिए अंधेरे में भी यह रंग बिखरता नहीं बल्कि साफ नजर आता है, लेकिन यह रंग सुरक्षा से जुड़ी हुआ है, इसलिए बच्चों की स्कूल बस को यह रंग नहीं दिया जा सकता था। ऐसे में कुछ खास वजहों से पीला रंग चुना गया।
पीले रंग में है कुछ खास
सभी रंगों में पीला रंग ही ऐसा है, जो इंसानों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। कई रिसर्च के मुताबिक तमाम रंगो के बीच जो रंग इंसानों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचता है, वो है पीला रंग। यह रंग सबसे ज्यादा आसानी से नजर आता है। साथ ही बारिश बर्फबारी या कोहरे में भी पीले रंग की बस को देखना सबसे आसान है, भले ही आप सीधे इसकी ओर न देख रहे हों, तब भी यह रंग आसानी से नजर आता है। इसका फायदा यह होता है कि शहर की सड़कों से लेकर हाइवे पर, हर दिशा से आने वाले वाहन ड्राइवर स्कूली बस को आसानी से देख पाते हैं, जिससे इस बस के एक्सीडेंट की संभावना न के बराबर होती है। इस रंग की बस से बच्चों की सुरक्षा की बड़ी गारंटी होती है। इसलिए शुरुआत से विशेषज्ञों ने स्कूल बसों के लिए क्रोम येलो रंग निर्धारित किया है।
पीले रंग के पीछे है वैज्ञानिक वजह
वैज्ञानिक रिसर्च बताती हैं कि चमकते पीले रंग का lateral peripheral vision लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना अधिक होता है। कहने का मतलब यह है कि लाल की अपेक्षा पीले रंग का आकर्षण सबसे ज्यादा होता है। पीले रंग के प्रभाव को लेकर सबसे पहले अमेरिका में हुए एक प्रयोग में यह बताया गया था कि पीले रंग का आकर्षण सबसे अलग है, तभी तो स्कूली बसें ही नहीं बल्कि रोड साइड के साइनबोर्ड भी तमाम देशों में पीले रंग से ही पेंट होते हैं।
स्कूल बस को लेकर ये हैं हाईकोर्ट की गाइडलाइंस
साल 2012 में भारत में एक हाईकोर्ट द्वारा बच्चों की सुरक्षा की खातिर स्कूली बसों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की गईं थीं। इनमें प्रमुख हैं -
1- स्कूल की हर बस पर स्कूल का नाम और प्रिसिंपल या मैनेजर का कॉन्टैक्ट नंबर जरूर होना चाहिए।
2- हर स्कूल बस में फर्स्ट ऐड बॉक्स होना चाहिए, ताकी छोटी मोटी दुर्घटना या परेशानी होने पर बच्चों का बेसिक ट्रीटमेंट स्पॉट पर ही किया जा सके।
3- स्कूल बसों के ड्राइवर्स का वेरीफिकेशन होना अनिवार्य है।
4- स्कूल बसों की स्पीड को लेकर सख्त नियंत्रण होना चाहिए यानि ड्राइवर को इस संबंध में उचित दिशा निर्देश दिए जाने चाहिए।
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