एक सर्वे के मुताबिक, मर्दों के मुकाबले नौकरी करने वाली औरतें बहुत कम
ये तो आप जानते होंगे कि भारत सरकार देश में रोजगार और बेरोजगारी की दर जानने के लिए सर्वे करती है। ये भी पता होगा कि मर्दों के मुकाबले नौकरी करने वाली औरतें बहुत कम हैं। ये भी शायद कहीं पढ़ा हो कि हाल के सर्वे में पता चला है कि गांव में हर 55 नौकरीपेशा मर्दों के मुकाबले सिर्फ 25 महिलाएं नौकरी करती हैं जबकि शहरी इलाकों में ये अनुपात और भी कम है। यहां हर 56 नौकरी करने वाले मर्दों के मुक़ाबले सिर्फ 16 महिलाएं ही नौकरी करती हैं।
लड़कों को होम साइंस पढ़ाने का सुझाव
लेकिन ये शायद नहीं जानते होंगे कि घरेलू काम कौन करता है इस पर भी सरकार ने एक सर्वे करवाया। उसमें मर्दों का परसेंट इतना कम (0.4) निकला कि इस सर्वे को सिर्फ औरतों पर केंद्रित करने का फैसला लिया गया! पर अब शायद ये सूरत बदले। अगर सरकार लड़कों को होम साइंस पढ़ाने के अपने सुझाव पर संजीदगी से अमल करे।
वुमेन के लिए पॉलिसी
दरअसल सरकार नेशनल पॉलिसी फॉर वुमेन बना रही है और एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी के लिए हो रही एक बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ये सुझाव दिया। रिपोर्ट के मुताबिक स्वराज ने कहा कि लड़कों को अगर होम साइंस पढ़ाई जाए तो औरतों के बारे में पुरानी मानसिकता बदलेगी और लड़कियों की जि़ंदगी बेहतर करने में लड़के मदद कर सकेंगे। वो बोलीं कि मर्द और औरत दोनों घर से बाहर काम करने लगे हैं पर औरतों पर कहीं ज्यादा बोझ है। दरअसल घर के काम में हाथ बंटाने की बात पर मर्दों का ऐसा रवैया बड़ा पुराना है। और हुआ यूं कि पिछले दशकों में लड़कियों को बड़ा करते वक़्त जो पाठ पढ़ाए जाते हैं वो तो बदलते गए, उन्हें स्कूटर-कार चलाना सिखाया गया, टीचर-नर्स से आगे बढ़कर मुश्किल और लंबे घंटों वाली नौकरियां करने के लिए हौसलाअफजाई की लेकिन लड़कों के पाठ वही रहे।
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उन्हें ना खाना बनाना सिखाया गया, ना बीमार बच्चे या मां-बाप की देखरेख के लिए पत्नी की जगह खुद नौकरी से छुट्टी लेना, ना देर रात जागकर अपनी प्रजेंटेशन पर काम कर चुकी पत्नी के आराम के लिए सुबह कामवाली से काम करवाने की जि़म्मेदारी लेना। ये बदलाव कुछ परिवारों में जरूर हो रहा है, पर सरकार के सर्वे की ही तरह उनका प्रतिशत अभी बहुत कम है।बल्कि सर्वे में आधी से ज़्यादा औरतों से जब पूछा गया कि वो घर का काम क्यों करती हैं तो उनका जवाब था कि क्योंकि परिवार का और कोई सदस्य नहीं करता। दिखने में इस छोटी सी बात का बड़ा असर ये है कि रोजग़ार में जुडऩेवाली औरतों का एक बड़ा हिस्सा मां बनने के बाद नौकरी छोड़ देता है।
एक सर्वे के मुताबिक 18-24 परसेंट औरतें ही गर्भवती होने के बाद भी नौकरी में कायम रहती हैं। मोटी बात ये कि बराबरी और आज़ादी की बात अगर मन से की जा रही है तो उसपर अमल भी उतनी ही शिद्दत से करना होगा। जब सारा आकाश लड़के-लड़कियों दोनों का होगा तब अच्छे दिन भी साझे ही होंगे।
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