मर्द साबित करने के लिए करते हैं हिंसा
खुद को मर्दानगी के पैमाने पर कम समझने वाले पुरुष भी हिंसक हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में बताया गया है कि किसी भी पुरुष द्वारा मर्दानगी को अपने हिसाब से परिभाषित करने का असर उसके व्यवहार में भी झलकता है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि मर्दानगी के पैमाने पर ऊंचे दिखने वाले पुरुष अक्सर खतरा उठाना, नशा, उग्र व्यवहार जैसी आदतों में शामिल दिखते हैं। इसके विपरीत, खुद को मर्दानगी के इस पैमाने पर पिछड़ता समझने वाले पुरुषों को डर रहता है कि और लोग भी उनके बारे में वैसा ही सोचते हैं।
बातचीत में सामने आया सच
इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने 600 अमेरिकी पुरुषों से उनके व्यवहार, उनकी नजर में उनकी अपनी छवि और खतरा उठाने जैसे विषयों पर बात की थी। नतीजों में सामने आया कि जो पुरुष खुद को मर्दानगी के पैमाने पर पिछड़ता पाते हैं, उनमें हिंसक व्यवहार करने का खतरा अधिक रहता है। इसके लिए वह हथियार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके विपरीत उन पुरुषों में यह खतरा नहीं दिखता जो मर्दानगी जैसे विषय के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं। हालांकि इस कमी का नशे के दैनिक इस्तेमाल से कोई संबंध नहीं दिखा।
नशा नहीं है कारण या सहारा
शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘इससे नतीजा निकलता है कि मर्दानगी से जुड़ा पारंपरिक प्रदर्शन करने के लिए नशा उतना कारगर नहीं रहता, जबकि हिंसा और सेक्स से जुड़े व्यवहार में यह पैमाना उलट जाता है। जहां ताकतवर पुरुषों के हिंसा का शिकार होने का खतरा रहता है, कम ताकतवर भी हिंसक घटनाओं की चपेट में आने के खतरे में रहते हैं।’
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