मानवाधिकार के लिए शुरू किया संघर्ष
अर्श सादेगी नाम के इस एक शख्स ने ईरान में मानवाधिकार के लिए लड़ाई शुरू की और इस समय वो जेल में है। अर्श पिछले 69 दिनों से जेल में भूख हड़ताल पर हैं। वजह हैं उनकी पत्नी गोलरोख इब्राहिमी जिनकी रिहाई की मांग करते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है। इस भूख हड़ताल के चलते अर्श का स्वास्थ्य काफी ख़राब हो गया है। उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा जहां डाक्टरों ने बताया है कि उनकी स्थिति काफी गंभीर है, उनका वजन करीब 20 किलो कम हो चुका है।
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संघर्ष से भरा है अर्श का सफर
अर्श सादेगी एक छात्र और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जो ईरान की जेलों में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। समय समय पर अर्श ने जेल में कैदियों के लिए ख़राब व्यवस्था, कैदियों के ऊपर हो रहे अत्याचार, सही उपचार की कमी और कैदियों के लिए वकीलों की सुविधा न होने जैसी समस्या को लेकर आवाज़ उठायी है। इसके साथ ही कई मानवाधिकार कार्यकर्तायों को हुई गलत और मौत की सजा को लेकर भी अर्श आवाज़ उठाते रहते हैं।
सेवा की सजा
इस आंदोलन के चलते अर्श को 7 जून 2016 तेहरान में अर्श को गिरफ्तार करते हुए 19 साल की सज़ा सुनाई गई। उनके ऊपर अयातुल्ला खुमैनी का अपमान, झूठी खबर और व्यवस्था के खिलाफ प्रचार जैसे कई आरोप लगाए गए। सुनवाई के दौरान उनको कोई वकील भी उपलब्ध नहीं कराया गया। वैसे इससे पहले भी कई बार उन्हें गिरफ्तार किया गया और बार बार जमानत से छोड़ा जा चुका है।
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पत्नी पर अन्याय के खिलाफ भूख हड़ताल पर हैं अर्श
जेल में बंद अर्श एक बार फिर अपनी पत्नी की गलत गिरफ्तारी को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। उनकी पत्नी गोलरोख इब्राहिमी जो एक लेखिका भी हैं , को छह साल की सजा सुनाई गई है। गोलरोख का जुर्म ये था कि उसने इराक में पत्थर मार कर मौत की सजा के ऊपर एक कहानी बनाई थी। 2014 में यह कहानी ईरान के एक प्रशासनिक अधिकारी के हाथ लग गई थी। इसके बाद अर्श और उनके पत्नी से कई बार पूछताछ कई गई और एक बार अधिकारी ने उनके घर तोड़फोड़ भी की जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। ईरानी के अधिकारियों के अनुसार इस कहानी में इस्लाम का अपमान किया गया है। जिसकी एवज में इब्राहिमी को छह साल की सजा सुना दी गयी। अर्श का कहना है कि वो अपनी पत्नी को इस झूठे आरोप से बरी कराने और उसके अधिकारों को वापस कराने की लड़ाई जारी रखेंगे।
सोशल मीडिया पर समर्थन
जहां एक ओर ईरान में इन पती पत्नि की कोई सुनवाई नहीं हो रही वहीं बाकी दुनिया में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ दूसरे लोग भी अर्श के समर्थन में आ गए हैं। सभी लोग अर्श और उनकी पत्नी की रिहाई की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर “फ्री अर्श सादेगी” नाम का पेज भी बनाया गया है। इस पेज पर दोनों के सर्मथक उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। ट्विटर पर भी यह मामला टॉप पर ट्रेंड कर है।
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