शंघाई (रायटर्स): WHO के एक्टिंग डायरेक्टर मारिया वान केरखोव ने कहा कि चीन में इस वक्त फैल रही इस रेस्पिरेटरी डिजीज के बढ़ने के पीछे उन बच्चों की बढ़ती संख्या है, जो Covid के दौर से लेकर अब तक बीमारी से दूर रहे थे और अब वो इस नए इंफेक्शन के प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा हाल ही में शुरु हुई रेस्पिरेटरी डिजीज का विषाणु बिल्कुल भी नया नहीं है, यानि उसे पहले भी देखा जा चुका है।
यह पुरानी बीमारी की वेव जैसी ही है
वान केरखोव ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि हमने लोगों से प्री कोविड से पोस्ट कोविड के बारे में पूछा और उससे हमें पता चला कि अभी जो भी आंकड़े देखने को मिल रहे हैं वो 2018-2019 में आए केसेस से काफी कम कम है। इस वक्त लोग जो रेस्पिरेटरी डिजीज से पीडि़त हैं वो किसी नयी बीमारी के लक्षण नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इसका अंदेशा पहले से था कि ऐसा होगा। यह वैसा ही है, जो दुनिया के कई देश एक या दो साल पहले आई बीमारी की वेव्स में झेल चुके हैं।
ज्यादातर केसेस इफ्लूएंजा से जुड़े
चाइना के नेशनल हेल्थ कमीशन के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि फेफड़े से जुड़ी ये बीमारी जो तेजी से फैलती नजर आ रही है, वो बीमारी के मिलते जुलते कई इंफेक्शन से जुड़ी है, इनमें कॉमन इफ्लूएंजा सबसे अधिक उत्तरदायी है। बता दें कि पिछले हफ्ते चीन की बीमारी दुनिया भर में बड़ा मुद्दा बन गई थी, जअ WHO ने इस बीमारी के बारे में डीटेल्ड जानकारियां चीन से मांगी थीं।
नई बीमारी या नया वायरस नहीं
स्पाइक लास्ट वीक एक ग्लोबल इशू बन गया जब डब्ल्यूएचओ ने बढ़ती हुई बिमारिओ के सर्वेलन्स प्रोग्राम द्वारा बच्चों में हो रहे निमोनिया कि रिपोर्ट के बारे में पूछते हुए ईडी चाइना से इसके बारे में और ज्यादा इनफार्मेशन मांगी। याद दिला दें कि कोराना महामारी के दौरान चीन और डब्ल्यूएचओ को दुनिया भर के सवालों का सामना करना पड़ा था कि उन्होंने समय रहते दुनिया को बीमारी के बारे में पारदर्शी तरीके से जानकारी दी या नहीं। वो बीमारी मध्य चीन के वुहान शहर में शुरु हुई थी। फिलहाल डब्ल्यूएचओ का कहना है कि चीन में फैल रही रेस्पिरेटरी डिजीज कोई नई बीमारी नहीं है।
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