बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि मुंडे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही इन्हीं मुद्दों से और ग़रीब तबक़े के हितों से जुड़े आंदोलनों से की.
उनका कहना था कि गोपीनाथ मुंडे उनके मित्र भी थे और उनके नेता भी. जावड़ेकर के अनुसार जब वो कॉलेज के लिए पुणे आए, तबसे लेकर उन दोनों का 42 साल का साथ रहा.
"केंद्र में ग्रामीण विकास मंत्री के तौर पर कमान संभालने के बाद आला अधिकारियों के साथ पहली मीटिंग में उन्होंने अधिकारियों से यही कहा कि हमें ग़रीब की सेवा करने के लिए बहुमत मिला है और ग़रीबों की सेवा करनी है."
-प्रकाश जावड़ेकर, सूचना एंव प्रसारण मंत्री
उन्होंने बताया, "किसान, मज़दूर, युवा, बेरोज़गारी इन सभी मुद्दों पर होने वाले आंदोलनों में वो हमेशा आगे रहते थे. किसानों के लिए वो हमेशा लड़ते थे, उनके हितों की बात करते थे."
जावड़ेकर ने कहा, "केंद्र में ग्रामीण विकास मंत्री के तौर पर कमान संभालने के बाद आला अधिकारियों के साथ पहली मीटिंग में उन्होंने अधिकारियों से यही कहा कि हमें ग़रीब की सेवा करने के लिए बहुमत मिला है और ग़रीबों की सेवा करनी है."
आंदोलन और गठबंधन
जावड़ेकर ने कहा कि 1990 के दशक में राजनीति में अपराधीकरण के विरोध में मुंडे ने एक बड़ा आंदोलन चलाया और उसके बाद शिवसेना के साथ भाजपा का गठबंधन बना, गठबंधन सत्ता में आया और मुंडे महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री बने.
जावड़ेकर कहते हैं कि मुंडे का न रहना भाजपा के लिए एक बड़ा नुक़सान है, लेकिन वो पूरी कोशिश करेंगे कि उसकी क्षतिपूर्ति हो.
उन्होंने कहा कि प्रमोद महाजन के जाने के बाद भी पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा था लेकिन धीरे-धीरे पार्टी उस झटके से उबर गई. जावड़ेकर ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि इतने बड़े नुक़सान से पार्टी को उबारा जाए.
उनका कहना था कि मुंडे को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बने.
(बीबीसी संवाददाता सुशीला सिंह से बातचीत पर आधारित.)
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