नई दिल्ली (पीटीआई)। पूर्व भारतीय फुटबॉलर और क्रिकेटर चुन्नी गोस्वामी के पास वो सबकुछ था, जो एक खिलाड़ी को चाहिए होता है। वह सचमुच के ऑलराउंडर प्लेयर थे। उन्हें भारतीय फुटबॉल जगत का पहला पोस्टर ब्वॉय कहा जाता है। 60 के दशक में इंडियन फुटबॉल टीम में दो बड़े नाम हुआ करते थे। एक पीके बनर्जी थे, तो दूसरे चुन्नी गोस्वामी। बनर्जी को लोग मॉस प्लेयर कहते थे तो गोस्वामी को क्लॉस प्लेयर का दर्जा मिला हुआ था। करीब 6 फुट लंबे गोस्वामी जब मैदान में उतरते थे, तो उनका खेल देखते ही बनता। वह गोल्ड मेडल जीतने वाले आखिरी भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान थे। गोस्वामी ने ओलंपिक में भी भाग लिया और फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट भी खेला।
16 साल की उम्र में शुरु किया फुटबॉल खेलना
बांग्लादेश के ढाका में जन्में चुन्नी गोस्वामी अपर मिडिल क्लॉस फैमिली से बिलान्ग करते थे। हालांकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कोलकाता में गुजारी। यहीं से वह इंडियन फुटबॉल हिस्ट्री के दिग्गज खिलाड़ी बनकर निकले। वह सेंटर फॉरवर्ड पोजीशन पर खेलते थे। गोस्वामी के साथी खिलाड़ी रहे दिवंगत पीके बनर्जी अक्सर कहते थे कि, उनके दोस्त चुन्नी के पास हर तरह की स्किल्स थीं। वह शूटिंग, ड्रिबलिंग, पावरफुल हेड, स्प्रिंट और पोजिशनल सेंस में माहिर थे। चुन्नी के खेल की खासियत थी कि वह दर्शकों को अपनी ओर खींच लाते थे। उन्होंने 16 साल की उम्र में फुटबॉल जगत मोहन बागान का दामन थामा और अंतिम समय तक उसी के साथ जुड़े रहे।
दिलीप कुमार हैं इनके बड़े फैन
साल 1965 में चुन्नी गोस्वामी ने जब फुटबॉल जगत से रिटायरमेंट का एलान किया तो उस वक्त उनके दो सबसे बड़े फैन, जो बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार भी थे, दिलीप कुमार और प्राण ने उन्हें अपना निर्णय बदलने को कहा था। यह दोनों एक्टर गोस्वामी के एक भी मैच मिस नहीं करते थे। खैर गोस्वामी ने 30 साल की उम्र में फुटबॉल जगत को अलविदा कह दिया था। अब उनके अंदर एक नए खेल के प्रति रुचि बढ़ रही थी, यह क्रिकेट था।
एक दशक तक खेला क्रिकेट
चुन्नी ने साल 1962 से ही क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। वह करीब एक दशक तक क्रिकेट से जुड़े रहे। चुन्नी ने 1962 से 1973 के बीच क्रिकेट मैदान पर 46 फर्स्ट क्लॉस मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया। वे ऑलराउंडर थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की कप्तानी की और उन्हें 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण दिलाया। बाद में उन्होंने बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और उन्हें 1971-72 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुँचाया।'
गैरी सोबर्स को कर दिया था हैरान
चुन्नी गोस्वामी ने एक बार वेस्टइंडीज के दिग्गज क्रिकेटर गैरी सोबर्स को भी हैरान कर दिया था। विंडीज टीम भारत दौरे पर थी और वह अभ्यास मैच खेल रही थी जिसमें भारत की घरेलू टीम में चुन्नी गोस्वामी भी थे। एक मैच में गोस्वामी ने 25 यार्ड पीछे भागकर कैच पकड़ा तो सोबर्स हैरान रह गए थे। तब गोस्वामी मजाक में दोस्तों को बताते थे, "सोबर्स को नहीं पता था कि मैं एक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर था। 25 गज का बैक-पैडलिंग करना कोई बड़ी बात नहीं है।"
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