मुंबई (पीटीआई)। 15 साल पहले भारत की फेमस महिला शूटर तेजस्विनी सावंत को पैसे की बहुत जरूरत थी, तब मनोहर पर्रिकर उनकी मदद के लिए आगे आए थे। उस वक्त तेजस्विनी को कोई जानता तक नहीं था। उन्हें जर्मनी में आयोजित शूटिंग वर्ल्ड चैंपियन में हिस्सा लेना था। ऐसे में गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर उनकी उम्मीद की किरण बनकर सामने आए। रविवार को पर्रिकर के निधन के बाद सावंत ने पीटीआई को बताया, पर्रिकर ने उस वक्त न सिर्फ उनको वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप के लिए भेजा बल्कि उसके बाद उन्हें करियर में नए मुकाम हासिल करने का मौका भी मिला।
एक लाख का चेक दे दिया
तेजिस्विनी सावंत आज भले एक कामयाब महिला शूटर हैं। मगर उन्हें एक बात का मलाल है कि वो मनोहर पर्रिकर को दिल से शुक्रिया अदा नहीं कर पाईं। सावंत ने बताया, 'पर्रिकर के साथ मेरी एक छोटी मुलाकात हुई थी। ये मीटिंग भाजपा के सीनियर लीडर चंद्रकांत पाटिल ने करवाई था। मुलाकात के दौरान मैंने पार्रिकर जी से कहा कि, मुझे टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए पैसे की जरूरत है। उन्होंने तुरंत चेक निकालकर साइन करके दे दिया। बाद में जब मैंने चेक देखा तो वो एक लाख रुपये की थी। यह इतनी बड़ी रकम थी कि मेरा करियर बदल गया।' बता दें उस शूटिंग वर्ल्डकप में तेजस्विनी ने शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने 400 में से 397 और 396 अंक हासिल किए थे, जिसके बाद वह भविष्य में होने वाले टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व आसानी से कर पाईं।
तेजस्विनी के करियर का टर्निंग प्वाॅइंट
बताते चलें वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली तेजस्विनी सावंत पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। साल 2010 में जर्मनी हुए इस टूर्नामेंट में 50 मी राइफल में सावंत ने वर्ल्ड रिकाॅर्ड की बराबरी भी की। सावंत ने अपने करियर में कई गोल्ड मेडल जीते। सावंत अपनी इस सफलता का श्रेय दो लोगों को देती हैं। वह कहती हैं, 'मैं इतना कुछ सिर्फ दो लोगों की मदद से कर पाई। पहले मनोहर पर्रिकर हैं जिन्होंने मुझ पर भरोसा कर आर्थिक मदद की थी। दूसरे चंद्रकांत पाटिल हैं जिन्होंने मेरी बात पर्रिकर तक पहुंचाई।'
सरकारी पैसों का नहीं किया इस्तेमाल
तेजस्विनी सावंत की मानें तो शुरुआती सफलता के बाद गोवा सरकार ने उन्हें नौकरी ऑफर की थी। यही नहीं पर्रिकर की सरकार ने उन्हें ट्रैवल और ट्रेनिंग का खर्चा भी दिया जब तक मैं खेली। फिलहाल सावत महाराष्ट्र सरकार में बतौर अधिकारी काम कर रही हैं। इस मौके पर चंद्रकांत पाटिल ने भी पर्रिकर से जुड़ी एक बात का जिक्र किया। वह कहते हैं, 'पर्रिकर ने तेजस्विनी की मदद के लिए कभी भी सरकारी पैसों का इस्तेमाल नहीं किया। वह खुद अपनी जेब से उसे पैसे देते थे।'
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