सऊदी की महिला सांसद लतीफा अलाशलन ने कहा, "ये सऊदी महिलाओं की बहुत बड़ी जीत है, वे दशकों से इस हक़ के लिए आंदोलन कर रही थीं।"

कई महिलाओं ने ट्वीट कर कहा है कि इस फ़ैसले के साथ ही सऊदी अरब हमेशा के लिए बदल गया है।

लेकिन इसके साथ ही यहां रोज़गार पाए भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका समेत दक्षिण एशिया के प्रवासी ड्राइवरों की नौकरी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।

एक अनुमान के मुताबिक़ सऊदी अरब में क़रीब आठ लाख ड्राइवर हैं, जिनमें भारतीयों और बांग्लादेशी ड्राइवरों की संख्या अच्छी खासी है।

भारत से पंजाब और केरल से बड़ी संख्या में लोग सऊदी अरब में बतौर ड्राइवर रोज़गार में हैं।

सऊदी अरब में वर्क वीज़ा दिलाने की एजेंसी चलाने वाले ढाका के अली हैदर चौधरी ने बीबीसी को बताया कि पिछले डेढ़ साल 50,000 बांग्लादेशी ड्राइवर सऊदी अरब गए हैं।

जेद्दा में पिछले 10 साल से किराए पर कार देने का बिज़नेस करने वाले बहर बकुल ने बीबीसी को बताया, "कई ड्राइवर घरों में लगे हुए हैं। ऐसा भी है कि अगर घर में तीन बच्चे हैं और उन्हें अलग-अलग स्कूलों में भेजना है तो तीनों के लिए अलग-अलग ड्राइवर नियुक्त हैं। इनमें से अधिकांश भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान या श्रीलंका के होते हैं।"

 सऊदी अरब में लाखों भारतीय ड्राइवरों का क्या होगा?

विदेशी ड्राइवरों पर 300 करोड़ डॉलर खर्च

सऊदी अरब की समाचार वेबसाइट अल अरेबिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब में 8 लाख से 10 लाख विदेशी ड्राइवर नौकरी करते हैं।

इन ड्राइवरों का माहवार वेतन लगभग 2,000 रियाल (लगभग 35 हज़ार रुपये) होता है। और अन्य भत्तों और सुविधाओं को शामिल करें तो एक निजी ड्राइवर पर हर महीने कुल 1000 डॉलर (65 हज़ार रुपये) से ज्यादा का ख़र्च आता है।

एक अनुमान के मुताबिक, साल 2016 में सऊदी अरब के परिवारों में विदेशी ड्राइवर रखने के लिए कुल 300 करोड़ डॉलर से ज्यादा ख़र्च कर दिए गए।

इस ख़र्च में आवास शुल्क, नियुक्ति शुल्क, हवाई जहाज का टिकट, वीजा, ड्राइवर का लाइसेंस, इंश्योरेंस, खाना, वेतन और मेडिकल सुविधाएं शामिल हैं।

महिलाओं को ड्राइविंग की इजाज़त मिलने के बाद एक तरफ जहां विदेशी ड्राइवरों पर होने वाले भारी खर्च में कमी आने का अनुमान है वहीं कारों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है।

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कार कंपनियों में खुशी

अरब न्यूज़ की वेबसाइट में प्रकाशित लेख में बताया गया है कि महिलाओं पर ड्राइविंग प्रतिबंध हटाने से सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में उछाल आने की उम्मीद है।

लेख में बताया गया है कि इस फैसले से विज़न 2030 के करीब पहुंचना और अधिक आसान हो जाएगा। विज़न 2030 में सऊदी अरब ने यह लक्ष्य रखा है कि तेल पर निर्भर अपनी अर्थव्यवस्था को वह नए आयाम प्रदान करेगा।

ड्राइविंग प्रतिबंधों के हटने से सऊदी अरब में कामगार लोगों की संख्या में महिलाओं की भागीदारी 22 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

इसके साथ ही इस फैसले से सऊदी अरब की जीडीपी में 0।4 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

सऊदी अरब में 'उबर' और 'करीम' कैब सर्विस बहुत ज़्यादा प्रयोग की जाती है। अरब न्यूज़ की वेबसाइट में प्रकाशित लेख के अनुसार, इस फैसले के बाद इन कैब सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है।

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