लोग गुरु की तलाश क्यों करते हैं? गुरु का होना क्यों आवश्यक है? हमें गुरु की जरूरत क्यों होती है?
'गुरु’ का शाब्दिक अर्थ है, अंधेरे को मिटाने वाला। गुरु वो है, जो अंधकार को मिटाकर प्रकाश लाता है। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में बुराई की कोई अवधारणा या शिक्षा नहीं है। इसके बजाय, वहां अज्ञानता और उसके अंधकार का वर्णन है। इसी अंधेरे को दूर करने के लिए हमें प्रकाश की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि हमारे अस्तित्व का मूल अंधकार है। दरअसल हमें अंधकार को हटाने के लिए किसी की जरूरत है, जो हमें प्रकाश को देखने और उसमें बने रहने में हमारी मदद करे। हमें अंधकार तब घेरता है, जब हम शरीर को अपनी एकमात्र पहचान समझते हैं, जैसे- हम कैसे दिखते हैं, हम कहां से हैं, हमारे पास क्या-क्या है और हम कितना कमाते हैं। यह सब पीड़ा की जड़ है।
गुरु जीवन में रोशनी की पहली किरण
प्रकाश वह है, जो हम वास्तव में हैं। गुरु हमारे जीवन में रोशनी की पहली किरण लाता है, रोशनी को बढ़ाता है और हमें उसी अवस्था में रहने में मदद करता है। यह बहुत ही अलग तरह का प्रकाश है। यह प्रकाश हमें कई अनुभव भी देता है और फिर हमारा जीवन प्रकाशमय हो जाता है।
एकता और विविधता का क्या अर्थ है और वह साथ-साथ कैसे संभव है?
एकता और विविधता महासागर की लहरों की तरह है। यदि आपने महासागर देखा है, तो उसमें कई लहरों को उठते देखा होगा- कुछ लंबी, कुछ छोटी, कुछ चौड़ी, कुछ संकरी, कुछ जो दूर तक गई होंगी, कुछ तुरंत खत्म हो गई होंगी, कुछ का रंग नीला होगा, तो कुछ का सफेद। यही विविधता है। पर अंतत: वे सब महासागर का हिस्सा हैं। यही हमारे साथ है। विविधता विभिन्न रंगों, आकारों, तौर-तरीकों की है। तो या तो हम विविधता पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं या एकता पर। सतही तौर पर हम विविध हैं, लेकिन हमें अंतर्निहित एकता के बारे में भी जागरूक होना चाहिए ताकि हम विविधता की सराहना कर सकें, लेकिन एक-दूसरे के साथ जुड़े भी रहें।
-साध्वी भगवती सरस्वतीजी
खुद को दीजिए 24 मिनट और बदल जाएगी आपकी जिंदगी
5 वैदिक गुरु, जिनका कलयुग में भी चलता है सिक्का
Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk