फेसबुक
फेसबुक अकाउंट का यह काम कुछ अलग है। फेसबुक का इससे कुछ अलग आपके मरने के बाद आपके किसी भी रिश्तेदार को अकाउंट का एक्सेस नहीं देती है। इसकी जगह आपके चाहने वाले फेसबुक से आपके अकाउंट को मेमोरिलाइज्ड करने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं। यानी किसी भी हाल में आपके अकाउंट में कोई भी लॉगइन नहीं कर सकता। अकाउंट से किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ भी नहीं कर सकता। किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके नाम को पीपल यू मे नो या सजेस्टिंग फ्रेंड्स की लिस्ट में नहीं दिखाया जाता है।
ट्विटर
जब भी किसी व्यक्ति की मौत के बाद अगर उस व्यक्ति का कोई जानकर या सम्बन्धी इस ट्विटर को इसकी जानकारी देता है तो ट्विटर उस अकाउंट को डिएक्टिवेट कर देता है। इसके लिए डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। कई यूजर्स ट्विटर अपने असली नाम से नहीं होते हैं। कंपनी मरने वाले व्यक्ति से जुड़ी कुछ और जानकारियां भी मांगती है। जानकारी देने के तीस दिन बाद ट्विटर उस अकाउंट को हमेशा के लिए डिएक्टिवेट कर देता है।
गूगल प्लस
जीमेल और गूगल प्लस जैसी सर्विस देने वाली कंपनी गूगल इनएक्टिव अकाउंट मैनेजर नाम का टूल देती है। इस टूल की मदद से आप यह मैनेज कर सकते हैं कि आपकी मौत के बाद आपके अकाउंट का क्या हो। इसमें आप एक टाइम लिमिट दी होती है। जो 6 महीने से 12 महीने की होती है। जिससे आप तय कर सकते हैं जिसके बाद आपके के अकाउंट का सारा डाटा ऑटोमैटिकली डिलीट कर दिया जाएगा। इसके अलावा आप किसी व्यक्ति को नॉमिनेट भी कर सकते हैं जिसे आपके सभी मेल मिलते रहेंगे।
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