मोदी और मनोहर ईमेल के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में
2008 से 2011 तक बीसीसीआइ के अध्यक्ष रहे शशांक भले ही कहते हों कि वह कंप्यूटर नहीं चला पाते, लेकिन पहले ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि मोदी और मनोहर ईमेल के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में थे। 2009 में इन्हीं के कार्यकाल में बीसीसीआइ का संविधान बदला गया और श्रीनिवासन के बोर्ड सचिव रहते हुए उनकी कंपनी इंडिया सीमेंट्स आइपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स खरीदने में सफल रही।
अध्यक्ष पद छोडऩे की शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में
जिस हितों के टकराव और बीसीसीआइ की छवि खराब करने की बात उन्होंने अध्यक्ष पद छोडऩे के बाद की, उसकी शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में हुई। शीर्ष वकील होने के नाते उन्हें कानून की सारी जानकारी थी, लेकिन अध्यक्ष होते हुए उन्होंने पता नहीं किस मजबूरी में इसको रोकने की कोशिश नहीं की। वह एक बार फिर से अपनी छवि के सहारे अध्यक्ष बने हैं, लेकिन पहली ही प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने श्रीनिवासन की बीसीसीआइ सचिव के तौर पर तारीफ करके गलत संदेश दिया है।
मोदी और श्रीनिवासन के साथ अच्छे रिश्ते!
बीसीसीआइ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि तब समय दूसरा था। शायद मोदी और श्रीनिवासन के साथ अच्छे रिश्तों के कारण वह उन्हें रोक नहीं पाए, या यह भी हो सकता है कि वह उन दोनों की गतिविधियों को समझ नहीं पाए हों। हालांकि हमें उम्मीद है कि इस बार ऐसा नहीं होगा। मनोहर के पहले कार्यकाल के समय ही ललित मोदी विवाद शुरू हुआ था। अब दो साल की दूसरी पारी में उनके सामने भ्रष्टाचार के नए मुद्दे पनपने नहीं देने से लेकर, पुराने मुद्दों को अंजाम तक पहुंचाने जैसी कई चुनौतियां होंगी।
हेराफेरी के आरोपों के बाद नई टीमों के लिए नए सिरे से बोली
उनके एक समर्थक ने कहा कि मनोहर ने अपने पहले कार्यकाल में कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए थे। इनमें तत्कालीन आइपीएल आयुक्त ललित मोदी का वित्तीय अनियमितताओं के कारण निलंबन, हेराफेरी के आरोपों के बाद नई टीमों के लिए नए सिरे से बोली लगाना और कोच्चि टस्कर्स केरल की बैंक गारंटी को भुनाने की बीसीसीआइ को सलाह देना शामिल है।
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