- धूल भरी धुंध से रात में भी होगा गर्मी का अहसास
- अस्थमा और दमा पेशेंट के लिए धुंध बड़ा खतरा
BAREILLY:
गर्मी ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। मैक्सिमम टेम्प्रेचर एक बार फिर जहां 40 के पार पहुंच गया है। वहीं मिनिमम टेम्प्रेचर ने पिछले 10 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया। तपिश बढ़ने से डस्ट हल्के होकर हवा में घुल गए हैं। जिसके कारण गर्मी और बढ़ गई है। यही वजह है कि रात में भी तपिश कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऊपर से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम से आ रही हवाएं राजस्थान धूल को लेकर आ रही है। धूल भरे धुंध में मौजूद हार्मफुल तत्व ह्यूमन बॉडी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, जिससे डॉक्टर बचने की सलाह दे रहे हैं। फिलहाल, 4-5 दिनों तक ऐसा ही मौसम बने रहने की उम्मीद वेदर एक्सपर्ट जता रहे हैं।
200 के करीब पहुंचा पीएम-10
वेदर एक्सपर्ट का कहना है कि इस समय हवाओं की रफ्तार 15-20 किमी। प्रति घंटे है। मैक्सिमम टेम्प्रेचर 40.9 और मिनिमम टेम्प्रेचर 29.5 पर पहुंचने के कारण आर्द्रता खत्म हो गई है। जबकि, ह्यूमिडिटी 55 पर पहुंच गई है, जिसके कारण डस्ट हल्के होकर हवा में घुल गए हैं, जिसके कारण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-10) का वैल्यूज वेडनसडे को 200 के करीब पहुंच गया। एक्सपर्ट का कहना है कि धूल भरी धुंध के कारण ही रात में भी टेम्प्रेचर सामान्य नहीं हो पा रहा है। अगले एक वीक तक ऐसी ही स्थिति बने रहने की सम्भावना जता रहे हैं। वेडनसडे को मिनिमम टेम्प्रेचर पिछले 10 वर्षो के रिकॉर्ड से सबसे अधिक रहा। वेडनसडे को मिनिमम टेम्प्रेचर 29.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। जबकि, इससे पहले 24.2 डिग्री से ऊपर नहीं रहा।
कई डिजीज होने का डर
डॉक्टर्स की मानें तो धुंध में निकिल, कोबाल्ट सल्फर, रेडियोधर्मी पदार्थ, कार्बन मोनोआक्साइड, जिंक और लेड मिले होते है। जब हम सांस लेते है तो यह हानिकारक पदार्थ सांस के माध्यम से सांस की नलियों में पहुंच जाते है और सांस फूलने जैसी प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ी है। धुंध में पॉल्यूशन पार्टिकल सांस के साथ फेफड़े में जाकर व्यक्ति को नुकसान पहुंचाते है। अस्थमा, दमा और हार्ट के पेशेंट के लिए यह बेहद ही डेंजर है।
दस वर्षो में सबसे अधिक मिनिमम टेम्प्रेचर
वर्ष - टेम्प्रेचर
2018 - 29.5
2017 - 23.7
2016 - 23.3
2015 - 22.3
2014 - 21.5
2013 - 21.5
2012 - 24.2
2011 - 21.8
2010 - 21.4
2009 - 21.6
2008 - 23.5
डस्ट की वजह से प्रॉब्लम्स
- फेफड़े मे एलर्जी।
- फेफड़े की नलियां सिकुड़ जाती हैं।
- नजला।
- खांसी-जुकाम।
- दमा।
- गले में खरास होना।
- आई रिलेटेड प्रॉब्लम्स
बचाव
- जहां तक सम्भव हो घर में रहे।
- हैंकी या मास का यूज करना।
- पानी और शिकंजी ज्यादा से ज्यादा पीएं।
- चश्मा लगाकर ही बाहर निकले।
- अपने आस-पास साफ सफाई रखे।
पश्चिमी उत्तरी पश्चिमी हवाएं चल रही हैं। राजस्थान से धुल के कण आ रहे हैं। एनवॉयरमेंट में कुछ दिन धुंध बना रहेगा।
डॉ। जेपी गुप्ता, डायरेक्टर, आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र
एनवॉयरमेंट में मौजूद डस्ट ह्यूमन बॉडी के लिए खतरनाक हैं। श्वांस नली से फेफड़े में जाने से एलजी और नलियों के सिकुड़ने का डर रहता है।
डॉ। नितिन अग्रवाल, सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट
अस्थमा और दमा पेशेंट को बच कर रहने की जरूरत है। डस्ट के कारण हाइड्रेशन और चिड़चिड़ापन आता है।
डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, फिजिशियन
हाई टेम्प्रेचर से डस्ट हल्के हो जाते हैं। डस्ट में मौजूद पार्टिकल्स हवा में खुल जाते हैं। पीएम-10 का परसेंटेज वेडनसडे को काफी रहा।
डॉ। डीके सक्सेना, इमेरिट्स प्रोफेसर, बीसीबी