लेनिन की मूर्ति टूटने से भड़के सीपीएम समर्थक
त्रिपुरा में बिगड़ते हालातों को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि यहां पर बीजेपी-आइपीएफटी कार्यकर्ता तोड़फोड़ और मारपीट कर रहे हैं। बीजेपी समर्थकों ने जानबूझकर बेलोनिया सबडिविजन में चौराहे पर लगी रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को बुलडोजर की मदद से ढहा दिया है। मूर्ति तोड़ने की घटना की जानकारी होने के बाद से सीपीएम समर्थक भी भड़क गए हैं। इसके बाद से यहां पर माहौल काफी तनाव भरा हो गया। हालांकि प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी है।
लेनिन बचपन से से ही तानाशाही के विरोधी रहे
रूसी क्रांति के नायक ब्लादीमीर इलिच लेनिन आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन शायद इन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता है। रूस में सामंतवादी प्रथा को खत्म करने वाले क्रांतिकारी नेता व्लादिमीर लेनिन बचपन से से ही तानाशाही के विरोधी रहे हैं।
प्रतिबंधित क्रांतिकारी ग्रंथों का अध्ययन करते थे लेनिन
22 अप्रैल 1870 में जन्में लेनिन सरकार द्वारा प्रतिबंधित क्रांतिकारी ग्रंथों का अध्ययन करते थे। कॉलेज के दिनों में तानाशाही विरोधी छात्र प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण और मार्क्सवादी संगठन बनाने के कारण उन्हें कई बार कॉलेज से निकाला गया था।
मजदूर व किसानों को प्रतिनिधि नियुक्त किया
लेनिन ने 1917 में अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व कर एक ऐसी सरकार का गठन किया जिसमें कामगार, मजदूर व किसानों को प्रतिनिधि नियुक्त किया। इस दौरान वह बोलशेविक्स के नेता के रूप में 1917-1924 तक सोवियत गणराज्य के शीर्ष पद पर बने रहे।
लेनिन पूरी दुनिया में लिविंग लीजेंड बने
इस क्रांति ने लेनिन सिर्फ रूस में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लिविंग लीजेंड बन दिया था। बातदें कि लेनिन ने कई पुस्तकें और कविताएं भी लिखीं जिनमें क्या करें, रूस में पूंजीवाद का विकास, रूसी सामाजिक जन वादियों के कर्तव्य जैसी रचनाएं शामिल हैं।
लेनिन का शव न जलाया गया, न दफनाया
लेनिन दुनिया के उन नेताओं में शामिल हैं जो मरने के बाद भी चर्चा में रहे। लेनिन का 1924 में 54 साल की उम्र में स्ट्रोक की वजह से उनका निधन हो गया था। खास बात यह है कि लेनिन के शव को उस वक्त न जलाया गया, न ही दफनाया गया।
आज भी यहां रखा है लेनिन का पार्थिव शरीर
लेनिन का शव मास्को के रेड स्कवेयर के एक म्यूजियम में रखा है। रूसी बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर लेनिन के शव की देखभाल तब से कर रही है जब पहली बार उनके पार्थिव शरीर को जनता दर्शन के लिए मॉस्को के रेड स्क्वेयर में रखा गया था।
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