दुनिया के दो अलग छोर पर बसे नार्थ पोल और साउथ पोल पर साल भर जिंदगी एक ही रफ्तार से चलती है, क्योंकि जीरो से माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान और बर्फ की जमीन पर जिंदगी को ऐसे ही चलाती है। फोटो्ग्राफर क्रिस्टोफर मिशेल की इस तस्वीर में इस व्यक्ित को देखा जा सकता है जो साउथ पोल एक्पएक्पीडिशन के दौरान अपना सामान घसीटकर ले जा रहा है।
बहुमंजिला इमारत को मात देती साउथ पोल पर यह बर्फ की चट्टान वाकई किसी दूसरी दुनिया मे होने का अहसास कराती है।
अंटार्कटिका और आर्कटिक ध्रुवीय इलाके में टूरिस्ट्स का साथ देने के लिए मौजूद होती हैं सिर्फ पेंग्विन। पेड़ पौधों से रहित इन इलाकों में नेचुरल फूड की कमी के कारण जानवरों के लिए भी जीना यहां आसान नहीं है।
क्रिस्टोफर ने अपनी इस खास यात्रा के दौरान ध्रुवीय क्षेत्रों से लेकर सुदूर नॉर्वे तक का सफर किया और दिखाए ऐसे अनदेखे नजारे।
ये है रूस निर्मित न्यूक्िलयर पावर से चलने वाला आइसब्रेकर जहाज, जो जमे हुए समंदर पर भी तेज रफ्तार से दौड़ता है।
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साउथ पोल के इस सुदूर इलाके में टेम्प्रेरी एयरपोर्ट पर ये एरोप्लेन अंटार्कटिका पर मौजूद तमाम एक्सप्लोरर्स को लेने के लिए आया हुआ है।
उफ इतनी सर्दी है यहां कि हर वक्त भारी भरकम कपड़ों से पैक रहना पड़ता है। यहां तो चेहरा खुला रखना भी काफी मुश्किल होता है।
यहां तो छोटे प्लेंस ही मददगार हैं, लेकिन अगर वो भी बर्फ में जम जाएं तो फिर कौन क्या कर सकता है।
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इस बियाबान में सिर छुपाने के लिए ऐसे घर भी बंगले से कम नहीं लगते!
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