नई दिल्ली (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आज, 11 सितंबर को हम भारत में दो महत्वपूर्ण मील के पत्थर चिह्नित करते हैं। आचार्य विनोबा भावे की जयंती है। और आज ही के दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना उत्कृष्ट भाषण दिया था। इन महापुरुषों के पास पूरी मानवता को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। भावे को भारत में भूदान (भूमि का उपहार) आंदोलन शुरू करने के लिए जाना जाता है। आज उनकी 125 वीं जयंती मनाई जा रही है। वहीं आज ही के दिन 1893 में, विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद में भाषण दिया था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वेदांत की अवधारणाओं और आदर्शों को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया था।
विनोबा भावे महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायियों में से एक थे
महात्मा गांधी के साथ विनोबा भावे के जुड़ाव की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 1918 में बापू ने आचार्य विनोबा भावे के बारे में लिखा था- मुझे नहीं पता कि आपकी प्रशंसा किस संदर्भ में की जाए। आपका प्यार और आपका चरित्र मुझे रोमांचित करता है और आपका आत्म मूल्यांकन भी। इसलिए मैं आपके मूल्य को मापने के लिए उपयुक्त नहीं हूं। आदरणीय आचार्य विनोबा भावे को उनकी 125 वीं जयंती पर प्रणाम। प्रधानमंत्री मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि आचार्य विनोबा भावे महात्मा गांधी के सबसे सच्चे अनुयायियों में से एक थे। उन्होंने सामाजिक सशक्तिकरण और शिक्षा पर बहुत जोर दिया। गौ सेवा के प्रति उनका जुनून अनुकरणीय था।
पीएम ने युवाओं से विवेकानंद के भाषण पढ़ने की अपील की
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में लिखा कि 1893 में स्वामी विवेकानंद ने भारत के उन मूल्यों को दुनिया के सामने पेश किया, जो हमारे देश की नींव और अभिन्न अंग है। मैं देश के युवाओं से उनके भाषण का अंश पढ़ने की अपील करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया 9/11 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले को याद कर रही है। इस दाैरान उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जय जगत और सार्वभौमिक भाईचारे के संदेशों से दुनिया को 11 सितंबर, 2001 को भीषण आतंकवादी हमले से बचाया जा सकता था। अगर आचार्य विनोबा भावे और स्वामी विवेकानंद के 1893 में दिए गए संदेशों पर ही केवल मानव जाति चली होती, तो जो विनाश हुआ वह नहीं होता।
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