6 मार्च : स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या।
7 मार्च : फाल्गुन मास शुक्ल पक्षारंभ।
8 मार्च : परमहंस स्वामी रामकृष्ण जयंती। फुलरिया दूज।
10 मार्च : वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत।
11 मार्च : याज्ञवलक्य जयंती। सोमवती पंचमी पर्व।
निर्झरिणी
कभी मत सोचिए कि आपके लिए यह कार्य असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो यह कहना पाप है कि आप निर्बल हैं या अन्य कोई दूसरा निर्बल है।
— स्वामी विवेकानंद
भय और विक्षोभों से मुक्त हो मन
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य:। हर्षातर्षभयोद्वेगैमुक्तो य: स च मे प्रिय:।।
जिससे कोई भी जीव उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी जीव से उद्विग्न नहीं होता। जो हर्ष, संताप, भय और समस्त विक्षोभों से मुक्त है, वह भक्त मुझे प्रिय है। साधकों के लिए यह श्लोक अत्यंत उपयोगी है। उन्हें इस ढंग से रहना चाहिए कि उनके द्वारा किसी के मन को ठेस न लगे। पथिक को चाहिए कि अपने हृदय में दूसरे लोगों द्वारा लगाए गए आघातों से उथल-पुथल न होने दें। चिंतन में सूरत लगी रहे, क्रम न टूटे। उदाहरण के लिए, आप स्वयं सड़क पर नियमानुकूल बायें से चल रहे हैं, कोई मदिरा पीकर चला आ रहा है। उससे बचना भी आपकी जिम्मेदारी है।
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