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बनारस के इसी मंदिर में बिस्मिल्लाह ख़ाँ को बाला जी ने दिए थे साक्षात दर्शन, और बना दिया शहनाई का उस्‍ताद

By: Chandra Mohan Mishra | Publish Date: Sat, 07 Jan 2017 22:33:05 (IST)
भारतीय शहनाई और उसके संगीत को दुनिया भर में चर्चित बनाने वाले उस्‍ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ एक आम शहनाई वादक से कैसे बन गए शहनाई के सरताज। एक बार एक अन्तरराष्ट्रीय प्रेस को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्हें रियाज के दौरान बालाजी मंदिर में हनुमानजी के दर्शन हुए थे। उनके अनुसार जब वह दस-बारह वर्ष के थे, वह बालाजी मंदिर में रियाज के लिए जाते थे। एक दिन बहुत सुबह वह पूरी तरह तल्लीन होकर मंदिर में शहनाई बजा रहे थे। बिस्मिल्लाह खान के शब्दों में, मेरी दस-बारह साल की उम्र थी। एक रोज हम बड़े मूड में बजा रहे थे कि अचानक मेरी नाक में एक खुशबू आई। हमने दरवाजा बंद किया हुआ था जहाँ हम रियाज कर रहे थे। हमें फिर बहुत जोर की खुशबू आई। देखते क्या हैं कि हमारे सामने बाबा खड़े हुए हैं...हाथ में कमंडल लिए हुए। मुझसे कहने लगे बजा बेटा... मेरा तो हाथ कांपने लगा, मैं डर गया, मैं बजा ही नहीं सका, अचानक वो जोर से हंसने लगे और बोले मजा करेगा, मजा करेगा...और वो ये कहते हुए गायब हो गए। इस घटना के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।
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