By: Chandra Mohan Mishra | Publish Date: Tue, 31 Jul 2018 19:38:30 (IST) कथा सम्राट ने 1916 से 1921 तक का वक्त गोरखपुर स्थित प्रेमचंद निकेतन में बिताया। 1903 में बनी इस बिल्डिंग को टीचर ट्रेनिंग के वार्डन के लिए बनाया गया था, जब मुंशीजी की तैनाती यहां हुई, तो उन्हें यहीं पर रहने के लिए क्वार्टर मिला। नौकरी मिलने के बाद जब 1916 में प्रेमचंद गोरखपुर आए, तो शुरुआत में उन्होंने अपनी नौकरी दिल लगाकर की। मगर 15 फरवरी 1921 में बाले मियां के मैदान में हुई महात्मा गांधी की सभा में उनका भाषण सुनने के बाद उन्होंने टीचिंग सर्विस और टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के वार्डन पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने कहानियां लिखनी शुरू की। सोज-ए-वतन उनकी पहली रचना है, जिसे उन्होंने उर्दू में लिखा था। इसमें उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान बताती है। वहीं गोदान भी गोरखपुर और आसपास के किसानों के दर्द को बयां करती है।
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