अनिल अग्रवाल के अलावा चीन की निर्माण कंपनी शेनडांग इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के आओ कागबेग समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
छत्तीसगढ़ के कोरबा में 1965 में भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम के रूप में स्थापित भारत एल्युमिनियम प्लांट यानी बाल्को का 2001 में विनिवेश किया गया था.
ब्रिटिश कंपनी वेदांता की भारतीय सहयोगी कंपनी स्टरलाइट ने बाल्को के 51 प्रतिशत शेयर 551 करोड़ रुपये में खरीदे थे.
उसके बाद से बाल्को का प्रबंधन वेदांता-स्टरलाइट कर रही है.
आरोप है कि हैदराबाद की सांघा इरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी ने 2008 से 2012 के बीच बाल्को की विस्तार परियोजना के दौरान पाइपलाइन बिछाने का काम किया था.
लेकिन कंपनी ने जब काम के बाद बचे हुये लगभग सवा करोड़ रुपयों की बात की तो कंपनी को टाल दिया गया.
कंपनी का आरोप है कि इस बारे में उन्होंने वेदांता कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और चीन की निर्माण कंपनी शेनडांग इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के आओ कागबेग को भी जानकारी दी. लेकिन इन्होंने भी इस बारे में कोई पहल नहीं की. अंततः कंपनी ने कोरबा की अदालत में परिवाद दायर किया.
कोई सुनवाई नहीं
सांघा इरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संतोख सिंह सांघा कहते हैं, "मैं पिछले 40 साल से इस धंधे में हूं, लेकिन पिछले कुछ साल से मैं कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों में कामकाज के तौर-तरीके देख कर परेशान हो रहा हूं. मैंने वेदांता और सेपको में बचे हुये पैसों को लेकर सब तरफ़ गुहार लगाई, लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई."
संतोख सिंह सांघा का कहना है कि वेदांता ने जिस शेनडांग इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को ठेका दे रखा है, उसके अफ़सर लगातार टाल-मटोल करते रहे.
यहां तक कि वेदांता की चिमनी गिरने के दौरान काम बंद हो गया और उनका अनुबंध भी ख़त्म हो गया.
इसके बाद भी सांघा इरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ने शेनडांग इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के कहने पर काम पूरा किया, लेकिन जब पैसे नहीं मिले तो कंपनी ने अदालत की शरण ली.
किसी भूमिका से इनकार
"यह सीधे तौर पर ठेका कंपनी से जुड़ा हुआ मामला है और वेदांता का इससे कोई लेना-देना नहीं है."
-वीके श्रीवास्तव, जनसंपर्क प्रमुख, बाल्को
अब अदालत के निर्देश पर वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के अलावा चीन की निर्माण कंपनी शेनडांग इलेक्ट्रिकल कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के आओ कागबेग समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज किया है.
कोरबा के पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा कहते हैं, "इस मामले में सीधे तौर पर शीर्ष अधिकारियों की संलिप्तता का कोई प्रमाण नहीं है और यह मामला सीधे तौर पर सिविल मामला है. हमने अदालत के निर्देश पर नामजद मामला दर्ज़ किया है और फ़िलहाल पूरे मामले की जांच कर रहे हैं."
दूसरी ओर बाल्को के जनसंपर्क प्रमुख वीके श्रीवास्तव इस पूरे मामले में बाल्को या वेदांता-स्टरलाइट की किसी भी भूमिका से साफ इनकार करते हैं.
श्रीवास्तव ने कहा, "यह सीधे तौर पर ठेका कंपनी से जुड़ा हुआ मामला है और वेदांता का इससे कोई लेना-देना नहीं है. अफ़सोस की बात ये है कि इस तरह के मामलो में हमारी कंपनी को बेवजह खींच कर हमें बदनाम करने की कोशिश होती रहती है. हमारा क़ानून में पूरा विश्वास है और हम जानते हैं कि ऐसे मामले अदालत में नहीं टिकेंगे."
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