घरों में रहने लायक जमीन की कमी के कारण वास्तुशास्त्र के अनुसार मनचाहा भूमिखंड मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में बिल्डरों द्वारा दिए जा रहे फ्लैट लेना लोगों की मजबूरी है। प्राय: यह फ्लैट पूरी तरह से वास्तु के अनुसार नहीं होते।
भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार इन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर की आंतरिक सज्जा मददगार होती है। ऐसे में वास्तुदोष दूर करने के लिए इन बातों का ख्याल रखें:
1. घर के सभी कमरों की पुताई एक ही रंग से नहीं करवानी चाहिए।
2. बेडरूम को गुलाबी, आसमानी या हल्के हरे रंग से पुताई करवाने से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
3. किचन के लिए लाल और नारंगी शुभ रंग माना जाता है।
4. टॉयलेट और बाथरुम के लिए सफेद या हल्का नीला रंग अनुकूल होता है।
5. घर में पर्दा लगाते समय यह ध्यान रखें कि पर्दे हमेशा दो रंग की परतों वाली होनी चाहिए। यदि बेडरूम पूर्व दिशा में हो तो हरे रंग के पर्दे अच्छे होते हैं।
6. उत्तर दिशा के कमरे लिए नीले पर्दे और पश्चिम दिशा के कमरे के लिए सफेद रंग के पर्दे लगाना उचित माना गया है। यदि कमरा दक्षिण दिशा के कोने पर हो तो लाल रंग के पर्दे उपयुक्त माने गए हैं।
7. ड्रॉइंग रूम यानी बैठक घर का काफी महत्वपूर्ण कमरा होता है। इस कमरे की दीवारों को हल्के नीले या आसमानी, क्रीम कलर, पीला या हल्के हरे रंग का होना उत्तम माना गया है। इस कमरे के लिए क्रीम, सफेद, सुनहरे या भूरे रंग के पर्दों का प्रयोग किया जा सकता है।
8. वायव्य दिशा में बने ड्रॉइंग रूम में हल्का हरा, हल्का स्लेटी, सफेद या क्रीम रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि ड्रॉइंग रूम की खिड़कियां-दरवाजे उत्तर दिशा में हों तो हरे आधार पर नीले रंग से बनी जल की लहरों जैसी डिजाइन के पर्दे उत्तम होते हैं।
9. घर की सीलिंग का रंग सफेद ही सर्वोत्तम माना गया है।
10. पूजा घर की दीवारों को हल्के नीले रंग से रंगवाना चाहिए क्योंकि यह विराटता, शांति और एकाग्रता का प्रतीक है।
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