Varuthini Ekadashi 2020 : वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि विधि विधान से व्रती पूजा- पाठ करें तो उनके मन की इच्छा पूरी होती है। बात दें कि इस दिन भगवान विष्णु के पूजन की मान्यता है। एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के खत्म होने से पहले करना शुभ होता है। फिर भी किसी वजह से द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद भी किया जा सकता है। यदि कोई व्रती द्वादशी तिथि के अंदर पारण करता है तो उसे पाप पड़ता है। इस बार वारुथिनी एकादशी दो दिन पड़ रही है। 17 अप्रैल को 8:03 पीएम से लेकर 18 अप्रैल 10:17 पीएम तक रहेगी एकादशी।
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त
व्रत पारण का सबसे शुभ मुहूर्त 19 अप्रैल 5:51 एएम से लेकर 8:27 एएम तक रहेगा। वैसे तो व्रत तोड़ने के लिए सबसे शुभ समय प्रातःकाल होता है। कुछ वजहों से अगर कोई प्रातःकाल पारण नहीं कर पाया है तो उसे दोपहर के बाद पारण लेना चाहिए। हरि वासर के दौरान भी एकादशी के व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। व्रती व्रत का पारण करना चाहते हैं तो उन्हें हरि वासर की अवधि समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहा जाता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए दोनों दिन रख सकते हैं व्रत
कभी- कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है जैसे कि इस बार। ऐसे में पहले दिन मनाई जाने वाली एकादशी परिवार वालों के लिए या कह लें गृहस्थों के लिए होती है। दूसरे दिन वाली एकादशी सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए होती है। दो दिन पड़ने वाली एकदाशी दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके भक्त दोनों दिन एकादशी व्रत रख सकते हैं।
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