वाराणसी (ब्यूरो)। ईडी ने दो हजार करोड़ रुपए के बैंक फ्राड के मामले में वाराणसी निवासी झूला ब्रांड वनस्पति तेल के मालिक व उद्यमी दीनानाथ झुनझुनवाला पर शिकंजा कसा है. ईडी की टीमों ने शुक्रवार को झुनझुनवाला के वाराणसी, दिल्ली, कोलकाता व बिहार के रोहतास समेत 12 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की है. इस दौरान कई दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं. सूत्रों का कहना है कि वाराणसी से दो लैपटॉप व 100 से अधिक फाइलें कब्जे में ली गई हैं. संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए हैं. छापेमारी के दौरान लगभग 500 करोड़ रुपये ङ्क्षसगापुर के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जाने के भी साक्ष्य मिले हैं, जिसके आधार पर आगे की छानबीन की जा रही है.
सुबह 7 बजे कार्रवाई
सीबीआई ने दो हजार करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड के मामले में उद्यमी झुनझुनवाला के विरुद्ध वर्ष 2019 में केस दर्ज कर जांच शुरू की थी. ईडी ने वर्ष 2020 में सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाकर मनी लांङ्क्षड्रग का केस दर्ज कर छानबीन शुरू की थी. ईडी की टीमों ने शुक्रवार सुबह लगभग सात बजे वाराणसी में नाटी इमली क्षेत्र स्थित झुनझुनवाला के आवास, आशापुर व हीरामन स्थित तेल मिलों, सारनाथ स्थित कार्यालय समेत अन्य राज्यों में छापे मारे. छापेमारी के दौरान झुनझुनवाला के घर से किसी को बाहर नहीं निकलने दिया गया. सभी के मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण कब्जे में ले लिए गए. ईडी की छानबीन पूरे दिन चली. मूलरूप से बिहार निवासी झुनझुनवाला परिवार का वनस्पति तेल का कारोबार भारत के अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका व अन्य देशों में फैला है. उनके विरुद्ध सीबीआई के अलावा आयकर विभाग भी जांच कर चुका है.
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44 वर्ष पहले भागलपुर छोड़ बनारस आ बसे थे झुनझुनवाला
- भागलपुर में पुश्तैनी संपत्तियों पर भी अपना हक जता व्यवहार न्यायालय में लड़ रहे कई दीवानी केस
वाराणसी में ईडी ने जिस 90 वर्षीय कारोबारी दीनानाथ झुनझुवाला के ठिकानों पर छापेमारी की है, वह मूल रूप से बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं. दीनानाथ करीब 44 वर्ष पहले 1980 के आसपास वाराणसी में जा बसे थे. वहां नाटी इमली में अपना आवास बनाया था. कुछ महीने पारले बिस्कुट बेचा, फिर झुनझुनवाला आयल मिल की नींव डाली. इसके बाद बड़े बेटे सत्यनारायण के साथ मिलकर कई बैंकों से करोड़ों का लोन लेकर उस पैसे को दूसरी जगहों पर निवेश करते रहे. कभी किसी बैंक का ऋण नहीं लौटाया. भागलपुर की संपत्तियों से भी दावा नहीं छोड़ा. यहां हनुमान घाट, हनुमान विद्यालय और कृष्णा सिल्क से जुड़ी पुश्तैनी संपत्तियों पर भी हक जता व्यवहार न्यायालय भागलपुर में कई दीवानी केस कर चुके हैं, जो लंबित हैं.
सात भाइयों में छठे नंबर पर
दीनानाथ सात भाइयों में छठे नंबर पर हैं. उनके पिता का नाम हनुमान दास झुनझुनवाला था. वाराणसी में दीनानाथ ने झुनझुनवाला आयल मिल के बाद जेवीएल एग्रो कंपनी के नाम से वनस्पति तेल बनाना शुरू किया. किसी बैंक से सौ करोड़ तो किसी से चार सौ करोड़ तक का लोन लिया, मगर कभी किसी बैंक का ऋण नहीं चुकाया.
बेटों से कटु हुए रिश्ते
दीनानाथ ने अपने तीनों बेटों सत्यनारायण, महेश और विश्वनाथ के साथ मिलकर कारोबार बढ़ाना शुरू किया. बेटों में सत्यनारायण ने पिता के कारोबार और विभिन्न बैंकों से लिए गए लोन के रुपये दूसरी जगहों पर लगाने में ज्यादा ध्यान लगाया. उनकी पकड़ मजबूत होती चली गई. यह बात अन्य दो भाइयों को नागवार लगी. धीरे-धीरे पिता से बेटों के रिश्ते खराब होने लगे. गंभीर बीमारी में छोटे विश्वनाथ की मौत हो गई.
ससुराली रिश्ते से भी बढ़ाया कारोबार
दीनानाथ ने मुजफ्फरपुर स्थित अपने ससुराल पक्ष के लोगों से भी कारोबारी लाभ उठाया. ससुराली फर्म हनुमान प्रसाद बिहारी लाल से नजदीकी नाता रखते हुए उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि बैंकों से करोड़ों का लोन लेने के बाद बड़े बेटे सत्यनारायण ने मुजफ्फरपुर में भी करोड़ों का निवेश किया. करोड़ों के लोन की हेराफेरी और बैंकों को गलत स्टेटमेंट के कारण सरकारी महकमे मच्ं उच्च पद पर आसीन एक रिश्तेदार ने दीनानाथ से दूरी बना ली थी. दीनानाथ के अन्य भाइयों का परिवार और उनका कारोबार भागलपुर में फैला हुआ है.