देहरादून, (ब्यूरो): ये अजीब सी स्थिति है। सड़क फुटपाथ कब्जाने वालों पर कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन कब्जे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। फुटपाथ पर गाड़ी ठीक करने से लेकर रेहड़ी ठेली का बाजार सज रहा है। पब्लिक को चलने के लिए फुटपाथ पर पैर रखने तक की जगह नहीं मिल पा रही है। खास बात यह है कि कब्जेधारी लगातार जुर्माना भी भर रहे हैं, इसके बाद भी सुधरने को तैयार नहीं है। पिछले एक साल में जिला प्रशासन की ओर से बीच-बीच में चलाए अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत चलाए जाने वाले स्पेशल ड्राईव में पुलिस, आरटीओ, नगर निगम की टीम की ओर से 70 लाख से अधिक का इनसे जुर्माना वसूला जा चुका है, लेकिन फिर भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। जानकारों की मानें तो इसके लिए कहीं न कहीं लचर कानून, पुलिस-प्रशासन और नगर निगम की ढुलमुल रवैया जिम्मेदार है। अब पब्लिक भी कब्जेधारियों पर बड़ी कार्रवाई की मांग कर ही है।
चलना ही नहीं, तो बनाए क्यों
सड़क किनारे फुटपाथ चलने के लिए बनाए जाते हैं। फुटपाथ पर चल कर वाहन एक्सीडेंट से बचा जा सकता है, लेकिन राजधानी दून में ऐसा लगता है कि फुटपाथ चलने के लिए नहीं बल्कि कब्जेदारों के लिए बनाए गए हैं। कहीं पर वाहन खड़े किए जा रहे तो कहीं पर फुटपाथ पर दुकानें चल रही हंै। कहीं फास्ट फूड की दुकानें चमक रही, तो कहीं वर्कशॉप की दुकान पर वाहनों को ठीक किया जा रहा है। सिटी में फुटपाथों का बुरा हाल है। कई बार फुटपाथ पर न चलने से लोग रोड पर एक्सीडेंट के शिकार भी हो रहे हैं।
पुलिस-प्रशासन जिम्मेदार
जानकारों का कहना है कि फुटपाथ कब्जाने और कब्जा हटाने के बावजूद दोबारा कब्जा होने के लिए पूरी तरह पुलिस-प्रशासन के साथ ही नगर निगम जिम्मेदार है। लचर नियम के चलते फुटपाथों पर कब्जे हो रहे हैं। एक बार हटाने के बाद दोबारा कब्जे न हो इसके लिए नियमों में बदलाव करके जुर्माने के साथ ही मुकदमा दर्ज कर जेल की सजा हो, तभी इसमें सुधार होगा।
1. इनामुल्लाह बिल्डिंग में नहीं दिखता फुटपाथ
शहर के सबसे व्यस्ततम तहसील चौक के पास इनामुल्लाह बिल्डिंग में फुटपाथ खाली नाम का है। यहां फुटपाथ पर एक इंच भी चलने की जगह नहीं है। कब्जेदार फुटपाथ ही नहीं आधी सड़क भी घेरे हुए हैं। कहीं वर्कशॉप की दुकान चल रही है, तो कहीं काउंटर लगाकर फुटपाथ बंद किए गए हैं। यहां से कई बार फुटपाथ से कब्जे हटाए गए, लेकिन स्थिति में एक परसेंट का भी सुधार नहीं है।
2. राजपुर रोड पर भी जगह-जगह फुटपाथ पर कब्जे हैं। कई जगह फुटपाथ नजर नहीं आते, लेकिन हैं भी वह भी चलने के लिए खाली नहीं बचे हैं। बेशक यहां कई जगह पर फुटपाथ चौड़े हैं, लेकिन बावजूद यहां चलने के लिए फुटपाथ नहीं बचे हुए हैं। कब्जे की भेंट चढऩे से पब्लिक को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
3. गांधी रोड पर भी कहने भर के लिए ही फुटपाथ हैं। पूरे गांधी रोड में कहीं भी फुटपाथ पर चार कदम चलने की जगह नहीं है। इसी रोड पर आगे सहारनपुर रोड पर फुटपाथ कहीं-कहीं पर ही नजर आते हैं वह भी कई जगहों से बंद है। कहीं व्यापारियों के कब्जे हैं, तो कहीं बिजली के पोल व ट्रांसफार्मर है।
4. लैंसडौन चौक से लेकर दर्शन लाल चौक पर फुटपाथ रेहड़ी-ठेली वालों ने घेरे हुए हैं। यहां दिनभर फ्रूट्स की रेहडिय़ां लगी रहती हैं। कपड़ों की दुकान फुटपाथ ही नहीं सड़क पर सजी रहती है। यहां से दिनभर वीआईपी गुजरते रहते हैं, लेकिन कभी किसी की निगाह इन अवैध फुटपाथ बाजार पर नहीं पड़ती।
यहां है ज्यादा परेशानियां
- सहारनपुर रोड
- गांधी रोड
- पेटलनगर
- तहसील चौक
- इनामुल्लाह बिल्डिंग
- राजपुर रोड
- त्यागी रोड
- धर्मपुर
- शास्त्रीनगर
- जोगीवाला
- कारगी रोड
- माता मंदिर रोड
-मोथरोवाला रोड
- सुभाष रोड
- दून हॉस्पिटल रोड
- एमकेपी रोड
रोड पर पैदल चलने में कई खतरे
- वाहन से एक्सीडेंट का खतरा
- खुले फुटपाथों से गिरने का खतरा
- बिजली पोल पर करंट लगने का खतरा
- फुटपाथ पर रखे गए कूड़े के डस्बिन
- फुटपाथ होने के बावजूद रोड पर चलने को पब्लिक
- व्यापारियों द्वारा फुटपाथ पर सजाया गया सामान
दून शहर में सड़कें बहुत संकरी है। ऊपर से चलने के लिए बनाए गए फुटपाथ भी चलने लायक नहीं है। फुटपाथों को कब्जा मुक्त करने में पुलिस-प्रशासन के साथ ही नगर निगम पूरी तरह फेल है।
प्रशांत क्षेत्री
सिटी में अधिकांश जगह चलने के लिए फुटपाथ नहीं है। जहां फुटपाथ हैं भी उनकी कंडीशन सही नहीं है। 90 परसेंट फुटपाथ व्यापारियों ने कब्जा रखे हैं। क्या फुटपाथ दुकानें सजाने के लिए बनाए गए हैं।
सिद्धार्थ रतूड़ी
कब्जों के चलते भी सड़क और फुटपाथ चलने के लिए नहीं बचे हैं। इस पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। सड़क फुटपाथों को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए जुर्माने के साथ सख्त कानून बनाया जाए।
राहुल कुमार
फुटपाथ पर चलने के दौरान यदि कोई व्यक्ति रास्ता बंद होने पर अचानक नीचे उतरता है तो उन्हें पीछे से आने वाले वाहनों से एक्सीडेंट का खतरा रहता है। सरकार को फुटपाथ परमानेंट खाली करने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
रोहित सोनी
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