देहरादून ब्यूरो। हालांकि उत्तराखंड में रोड एक्सीडेंट पहले भी होते थे। इनमें कई लोगों की मौत होती थी। लेकिन हाल के वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले 5 वर्षों में राज्य में करीब 7 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इनमें करीब 5 हजार लोगों की मौत हुई है। यह स्थिति तब है कि जबकि 2020 और 2021 में कोविड के कारण कई महीनों के लॉकडाउन में या तो सड़कों पर ट्रैफिक पूरी तरह से बंद रहा या बहुत कम रहा।
इस साल ज्यादा मामले
इस वर्ष पहले चार महीनों में राज्य में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े देखें तो करीब 504 दुर्घटनाएं हुई और इनमें 382 लोगों की मौत हुई। मई में चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद अचानक दुर्घटनाओं में तेजी आई है। इनमें सबसे बड़ा एक्सीडेंट यमुनोत्री हाईवे पर डामटा के पास हुआ। इस हादसे में बस खाई में गिरने से 26 लोगों की मौत हुई। पिछले डेढ़ महीने के दौरान लगभग हर रोज राज्य में कोई न कोई एक्सीडेंट हुआ है।
चौड़ी सड़कों पर ज्यादा एक्सीडेंट
उत्तराखंड में ऑलवेदर रोड इस रोड का निर्माण शुरू होने से पहले से ही चर्चा में है। अब चारधाम रोड ज्यादातर जगहों पर काफी चौड़ी हो चुकी है और कुछ जगहों पर काम चल रहा है। सड़क चौड़ी होने के बावजूद एक्सीडेंट बढ़े हैं। जानकारी कहते हैं कि पहले उत्तराखंड की सड़कों पर वाहन धीरे से चलाने पड़ते थे। लेकिन, चौड़ी सड़कों के कारण वाहन चालक इन पहाड़ी सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। ऐसे में जरा सी भी चूक बड़ा हादसा बन जाती है। डामट की बस दुर्घटना ऐसी की चूक का कारण बताई जा रही है।
आपदा नहीं एक्सीडेंट स्टेट
उत्तराखंड को आपदाओं का प्रदेश कहा जाता है। इस पहाड़ी राज्य में लैंड स्लाइडिंग सहित कई तरह की आपदाएं अक्सर आती रहती हैं। लेकिन यदि आपदा और एक्सीडेंट में होने वाली मौतों की तुलना करें तो उत्तराखंड का आपदाओं का प्रदेश कहने के बजाए एक्सीडेंट का प्रदेश कहा जाएगा। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 वर्षों में उत्तराखंड में आपदाओं के कारण प्रतिवर्ष एवरेज 128 लोगों की मौत हुई है। इनमें 7 फरवरी, 2021 की चमोली और 17 अक्टूबर 2021 की कुमाऊं की बेमौसमी आपदा भी शामिल हैं। लेकिन रोड एक्सीडेंट में इस दौरान हर वर्ष एवरेज 993 लोगों की मौत हुई है। यानी रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों की संख्या आपदा में होने वाली मौतों की तुलना में 8 गुना ज्यादा है।