- सहारनपुर चौक से घंटाघर तक कहीं पर नजर आती है रेलिंग
- लाखों रुपये खर्च करने के बाद पब्लिक को कोई सहूलियत नहीं
देहरादून (ब्यूरो): इस रोड को 2018 में शहरी विकास मंत्री रहे मदन कौशिक ने स्मार्ट रोड के रूप में डेवलप करने की शुरुआत की। हालांकि यह योजना फुटपाथ और रेलिंग से आगे नहीं बढ़ पाई। स्मार्ट रोड का काम फुटपाथों की रिपेयरिंग और रेलिंग लगाने से शुरू हुई और यहीं पर प्रोजेक्ट खत्म भी हो गया था। करीब 30-35 लाख रुपये की रेलिंग लगाई गई। उस समय लगाई कि रेलिंग आज सड़क से लगभग गायब हो गई है। मातावाला बाग से लेकर घंटाघर तक फुटपाथ पर कहीं-कहीं पर ही रेलिंग देखने को मिलती है। यह रेलिंग कहां गई, इसकी जानकारी किसी को नहीं हैै।
नाम मात्र की रह गई रेलिंग
रोड पर फुटपाथ के किनारे लगाई गई रेलिंग धन की बर्बादी के सिवाय और कुछ नहीं है। पब्लिक को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। पांच साल पहले लगाई रेलिंग जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। कहीं से रेलिंग ही गायब बताई जा रही है। धरातल पर नाम मात्र की रह गई है। कई जगहों पर रेलिंग पूरी तरह साफ हो गई है तो कहीं पर नाम मात्र की रह गई है। रेलिंग न होने से कई जगहों पर फुटपाथ पर कब्जे हो गए हैं, जिस वजह से लोग फुटपाथ की जगह सड़क पर चलने को मजबूर हैं।
कहां गई रेलिंग
सवाल यह है कि जब रेलिंग लगाई गई है, तो वह मौके पर दिख क्यों नहीं रही है। टूट-फूट गई रेलिंग को कबाड़ी वाले ले गए या फिर रेलिंग निकाल कर बेच दी गई। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि ये रोड स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आ रही है, जिस कारण इसकी देखभाल नहीं हो पाई। वस्तुस्थिति क्लियर होने के बाद उच्च स्तर से जो भी निर्देश होंगे उसके अनुसार स्मार्ट रोड की रेलिंग और अन्य कार्य किए जाएंगे। ये रोड पीडब्ल्यूडी के तीन डिविजनों के पास थी। घंटाघर से लेकर माता वाला बाग तक प्रांतीय खंंड, इसके बाद मंडी तक निर्माण खंड और मंडी से लेकर आईएसबीटी तक एनएच डिवीजन डोईवाला के पास है।
एक्सीडेंट का बना खतरा
रेलिंग न होने एक्सीडेंट का खतरा बना हुआ है। फुटपाथ कि किनारे रेलिंग लगाने की मुख्य वजह सौंदर्यीकरण के साथ लोगों को एक्सीडेंट से भी बचाना था। कई जगहों पर रेलिंग न होने से फड़ व्यापारी ठेली लगा रहे हैं। कई जगहों पर फुटपाथ वाहन पार्किंग का अड्डा बने हुए हैं।
ये थी योजना
योजना का नाम: स्मार्ट रोड
कहां से कहां तक।: शिमला बाईपास चौक से घंटाघर तक रोड का सौंदर्यीकरण
रेलिंग निर्माण: वर्ष 2018
लंबाई: 7 किमी।
रेलिंग की लागत: 35 लाख
मुख्य वजह: रोड सौंदर्यीकरण के साथ एक्सीडेंट
निर्माण संस्था: पीडब्ल्यूडी
विभाग ही है जिम्मेदार
दून में सड़क पर पैदल चलने के लिए फुटपाथ नहीं हैं, जो हैं भी वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं या उन पर अवैध रूप से कब्जे हैं। जो फुटपाथ बचे भी हैं उनमें रेलिंग गायब है।
गणपति नौटियाल, सोशल एक्टिविस्ट
विभाग जो निर्माण कार्य करता है उसके देखरेख की जिम्मेदारी भी उसी विभाग की होती है। यदि सड़क से रेलिंग गायब हो रही है, तो यह बेहद दुभाग्यपूर्ण स्थिति है।
किशन लाल, रिटायर्ड इंजीनियर
फुटपाथ पर रेलिंग न होने से स्कूली बच्चों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर छोटे बच्चों के एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।
नरेंद्र सिंह नेगी, स्थानीय व्यक्ति
निर्माण करने के बाद विभाग कई ध्यान नहीं देते हैं। मेंटेनेंस के अभाव मे चीजें अधिकांशत: खराब हो जाती है। टूटी रेलिंग ठीक की जाती, तो रेलिंग गायब न होती। इसके लिए संबंधित विभाग जिम्मेदार है।
रोबन पंवार, स्थानीय व्यापारी
आईएसबीटी से घंटाघर तक स्मार्ट रोड बनाने की बात पुरानी है, यह पूरी रोड स्मार्ट सिटी में नहीं है। यदि रेलिंग वास्तव में गायब हुई है, तो इसकी जांच पड़ताल कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। रोड डेवलप करने के लिए संबंधित विभाग के साथ बैठक कर शीघ्र वर्क प्लान बनाया जाएगा।
सोनिका, डीएम, देहरादून
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