देहरादून ब्यूरो। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को रियलिटी चेक के दौरान पार्किंग के लिए छोड़ी गई कोई भी ऐसी जगह नपहीं दिखी, जहां अतिक्रमण न हुआ है। कबाड़ी कारोबारियों ने ज्यादातर पार्किंग स्थल पर स्क्रैप जमा कर रख है। कई जगहों पर कई टन स्क्रैप जमा है। इनमें गाडिय़ों के पाट्र्स, बॉडी, टायर और दूसरी चीजें शामिल हैं। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों का कहना है कि ज्यादातर स्क्रैप वाले बिना वैध लाइसेंस से पार्किंग की जगह पर बैठे हुए हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। स्क्रैप के अलावा कुछ दुकानदारों ने सड़कों पर वर्कशॉप बना दी हैं। ज्यादातर वर्कशॉप गाडिय़ों की मरम्मत के हैं। विभिन्न राज्यों से आने वाले ट्रकों में लंबे रास्ते में कोई न कोई खराबी आ जाती है। ऐसे में वापस जाने से पहले ट्रक मैकेनिक के पास ले जाकर दुरुस्त करवाये जाते हैं। इस वजह से ट्रांसपोर्ट नगर में बड़ी संख्या में वर्कशॉप चल रहे हैं। जिनका ज्यादातर कमा खुली सड़क पर होता है।
लगातार जाम की स्थिति
पार्किंग की जगहों पर स्क्रैप, वर्कशॉप, रेहड़ी ठेली और दूसरी तरह के अतिक्रमण हो जाने के कारण ट्रकों को पार्क करने के लिए कोई जगह नहीं बच जाती। ऐसे में ट्रक सड़क पर खड़े कर दिये जाते हैं। ऐसे में सड़कों पर आने-जाने की जगह नहीं बच जाती और जाम की स्थिति बनी रहती है। गाड़ी निकालने को लेकर ट्रांसपोर्ट नगर की सड़कों पर दिन में ड्राइवर्स की बीच लड़ाई-झगड़े और मारपीट होती है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों की मानें तो वे कई बार इस बारे में पुलिस से शिकायत कर चुके हैं, पर कार्रवाई नहीं होती।
क्या कहते हैं व्यवसायी
2017 में शहरी विकास मंत्री में पार्किंग विकसित करने के आदेश दिये थे। उसके बाद कुछ जगहों पर काम हुआ और फिर काम बंद हो गया। आज तक प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
सतपाल सेठी
पार्किंग की कोई भी जगह ऐसी नहीं जहां अतिक्रमण न हुआ हो। शिकायत करने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ट्रक आते हैं तो सड़कों पर ही खड़े कर दिये जाते हैं। इससे लगातार जाम लगा रहता है।
कुश चौधरी
5 साल पहले मंत्री के आदेश के बाद लगा था कि अब ट्रांसपोर्ट नगर के दिन फिरने वाले हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कुछ सड़कें पक्की हुई थी, वे अब फिर से खराब हो गई हैं।
राजेश अग्रवाल
हमारी कोई नहीं सुन रहा है। हर जगह शिकायत करके देख ली। पार्किंग वाली जगहों को सड़क से कुछ ऊंचा करके पक्का किया जाना था, लेकिन नहीं हुआ। अब सारी पार्किंग पर कब्जे हैं। हालात बेहद खराब हैं।
नीरज कुमार