देहरादून, ब्यूरो: लगातार बारिश पहाड़ से लेकर मैदान तक तबाही मचा रही है। लेकिन, राजधानी में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां बरसात के सीजन में हर बार शहरवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नतीजतन, सब कुछ जानने व समझने के बावजूद इस पर शासन व प्रशासन के पास सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मानसून के सीजन में दून सबसे ज्यादा नालियां चोक, जलभराव, सड़कों पर गड्ढे, जंग खाए बिजली के पोलों से खतरा जैसी दिक्कतों की मार झेलता है। अभी तो ये मानसून आधा भी नहीं बीता, दून शहर में बरसात अपने निशान छोड़ रहा है। लोग कह रहे हैं कि आखिर हर साल ऐसी दिक्कतें क्यों आती हैं। क्यों नहीं सरकार इस पर होमवर्क कर काम पूरा करती है।
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सहारनपुर चौक
इस चौक पर पिछले एक साल से ट्रेंच सीवर लाइन का काम जारी है। कई बार दावे किए गए थे कि मानसून से पहले इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। लेकिन, वस्तुस्थिति सबके सामने है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि निर्माण कार्य आखिरी चरणों में है। लेकिन, बारिश के सीजन में यहां पर जाम के साथ वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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ट्रांसपोर्टनगर रोडवेज वर्कशॉप
बारिश से पूरा रोडवेज वर्कशॉप पानी-पानी हो गया है। यहां लगातार दो-तीन दिन बारिश हो जाए तो कई बार आने-जाने वाली बसें गोते लगाती नजर आ जाती हैं। विभाग ने मानसून पूर्व किसी भी प्रकार की तैयारियों की जहमत नहीं उठाई।
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शिमला बाईपास
मानसून में बिजली के पोल कितने खतरनाक हो जाते हैं। ये किसी से छुपा नहीं है। पोल पूरी तरह है डैमेज हैं। लेकिन, यूपीसीएल को इससे कोई लेना देना नहीं। कई बार स्थानीय लोग अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं। सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा है।
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आईएसबीटी में ऐसा नजारा दिख जाना कोई नई बात नहीं है। शहर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले इलाके में ये हर साल के किस्से कहानी हैं। यहां तो सीएम से लेकर मंत्री, विधायक और डीएम तक ने पिछले 24 सालों में कितने दौरे कर दिए होंगे। तस्वीर आपके सामने है। आज तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है।
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ट्रांसपोर्टनगर को दून शहर के लिए सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त इलाका कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां साफ-सफाई से लेकर नालियां चोक, जलभराव, डेंगू का खतरा, बिजली की समस्या, हर प्रकार की दिक्कतें हैं। दर्जनों पर संबंधित विभागों तक से लेकर सीएम पोर्टल तक शिकायतें पहुंचा दी गई। कोई हल नहीं निकल पाया।
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जीएमएस रोड पर भी एक मामूली बारिश से ऐसे हालात नजर आते हैं। जलभराव यहां की सबसे बड़ी दिक्कत है। लेकिन, इलाकेवासियों की कोई सुनने वाला नहीं है। कई लोग ये भी कहने से नहीं चूकते कि अब तो उन्होंने उम्मीदें भी छोड़ दी हैं।
ये कोई नई बात नहीं है दून शहर के लिए। मानसून के सीजन पर कुछ ऐसी ही दिक्कतें सामने आती हैं। इसके लिए संबंधित विभागों को पहले से ही इंतजाम करने चाहिए, जिससे शहरवासियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
-भूषण भाटिया, प्रेमनगर।
जलभराव, सड़कों पर गड्ढे और नालियां चोक। दून की अक्सर यही कहानी नजर आती है। ये समस्याएं सबसे ज्यादा बरसात के सीजन पर ही नजर आती हैं। इसके लिए सरकार को पहले से ही तैयारियां करनी चाहिए।
-केशर सिंह रावत, जीएमएस रोड।
इसको कोई दो राय नहीं कि बरसात के सीजन में हर शहर में दिक्कतें सामने आती हैं। लेकिन, ये भी सच है कि दून सिटी में साल-दर-साल ऐसी प्रॉब्लम्स दिख रही हैं। जिन पर काम करने की जरूरत है।
-मुकेश नवानी, कारगी चौक।
राजधानी में सबसे ज्यादा जलभराव व सड़कों की बदहाल स्थिति सामने आ रही हैं। जाहिर है कि ऐसे स्थानों को चिन्हीकरण कर उनकी मरम्मत की जानी चाहिए। जिससे अगले वर्ष लोगों को परेशानी न हो।
-यशवीर आर्य, कैनाल रोड।
मानसून में ज्यादा संवेदनशील इलाके
-आईएसबीटी
-रायपुर
-प्रिंस चौक
-परेड ग्राउंड
-रिस्पना पुल
-शिमला बाईपास
-प्रेमनगर
-धर्मपुर
दून जिले में इस मानसून सीजन के इफैक्ट्स
-6 पशु बह गए
-रोड एक्सीडेंट् से 2 की मौत, 8 घायल
-24 रोड ब्लॉक, मानसून सीजन में रही 129 सड़कें बाधित।
सड़क के लिए पीएम से गुहार
राज्य सरकार से निराशा हाथ लगने के बाद कौलागढ़ निवासियों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर शहीद नीरज थापा द्वार से मसंदावाला तक की सड़क बनाने की गुहार लगाई है। सोशल एक्टिविस्ट विनोद जोशी के मुताबिक शहीद द्वार से मसंदावाला तक करीब 3 किमी की सड़क वर्षों से खराब है। लेकिन, बरसात के मौसम में ये सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। जबकि, पीडब्ल्यूडी विभाग प्रांतीय खंड से कई सालों से सड़क को बनाने की अपील की गई है। बावजूद इसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज की गई। वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। मांग की है कि करीब 20 वर्ष पहले इस सड़क का निर्माण कार्य किया गया था। तब से ये सड़क जस के तस है।
इन इलाकों को जोड़ती है ये सड़क
-कौलागढ़
-बाजावाला
-मसंदावाला
-आमवाला
-फूलसनी
-सहसपुर
-भाऊवाला।
विकासनगर।
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