देहरादून (ब्यूरो)। पिछले वर्ष प्रशासन ने दावा किया गया था कि नमामि गंगे परियोजना के तहत रिस्पना की सफाई के लिए 63.75 करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूर हुई है। इससे रिस्पना में गिरने वाले 177 नाले और और करीब 3 हजार घरों के सीवरेज पाइप टैप कर दिये जाएंगे। यह काम शुरू कर दिये जाने का भी दावा किया गया था, इसके बावजूद रिस्पना की स्थिति जस की तस है। नदी अब भी गंदे नाले के रूप में बह रही है। इस योजना के तहत 32 किमी कैरियर लाइन बनाकर सीवरेज को मोथरावाला में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ले जाया जाना था। 21 जून, 2021 तक इस काम को पूरा करने का टारगेट रखा गया था।
एक नजर
63.75 करोड़ की ग्रांट हुई थी मंजूर
177 नाले किये जाने थे टैप
3000 घरों के सीवरेज कनेक्शन होने थे डायवर्ट
32 किमी की सीवरेज लाइन बनाने का था प्लान
4 वर्ष हो चुके प्रोजेक्ट को
30 किमी क्षेत्र में लगाए गए थे प्लांट्स
2.5 लाख प्लांट्स लगाने का था दावा
पीएम के मन की बात में भी जिक्र
रिस्पना नदी का मामला पीएम नरेन्द्र मोदी की मन की बात में भी उठा था। दून की एक छात्रा ने मन की बात में रिस्पना की गंदगी का मामला उठाया था। पीएम ने छात्रा को इस तरह का मुद्दा उठाने के लिए शाबाशी भी दी थी। उम्मीद की गई थी कि अब रिस्पना को नया जीवन मिलने के काम में तेजी आएगी, लेकिन 4 वर्ष से ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी रिस्पना की हालत पहले जैसी ही है।
एक्स सीएम का था ड्रीम प्रोजेक्ट
रिस्पना से ऋषिपर्णा राज्य के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था। उनके सीएम रहने जून 2018 में रिस्पना के दोनों ओर 30 किमी क्षेत्र में 2.5 लाख से ज्यादा पौधे रोपने का दावा किया गया था। इस वृक्षारोपण को बड़े इवेंट के रूप में आयोजित किया गया था। इसे मिशन ऋषिपर्णा नाम दिया गया था। जिला प्रशासन से लेकर सचिवालय तक कई दिनों तक बैठकों और तैयारियों का दौर भी चला था। स्कूली बच्चों सहित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को इस काम में लगाया गया था। ये 2.5 लाख पेड़ कहां हैं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
नगर निगम का दावा
मिशन ऋषिपर्णा में लगभग दर्जनभर विभागों को शामिल किया गया है। इसमें जल संस्थान, जल निगम, सिंचाई विभाग, एमडीडीए आदि शामिल हैं। लेकिन, प्रमुख भूमिका नगर निगम की है। इस बारे में पूछे जाने पर नगर निगम के सीनियर हेल्थ ऑफिसर डॉ। आरके सिंह ने दावा किया कि रिस्पना में लगातार सफाई की जा रही है। बरसात के बाद फिर से जेसीबी मशीन लगाकर सफाई शुरू की गई है। नदी के पुलों पर जालियां लगाई गई हैं, ताकि लोग कचरा नदी में न फेंकें। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे लगाये जा रहे हैं, ताकि नदी में कचरा फेंकने वालों की पहचान की जा सके।
असली समस्या पानी है
दून में नहरों और नदियों के जानकार विजय भट्ट कहते हैं कि रिस्पना की बड़ी समस्या पानी न होना है। वे कहते हैं रिस्पना की मौत उसी दिन हो गई थी, जब इसके कैचमेंट एरिया से नहर निकाली गई थी। यह नहर लंबे समय तक दून के बड़े क्षेत्र में सिंचाई करती रही। वे कहते हैं कि अब खेतों की जगह कंक्रीट के जंगल बन गये हैं। लेकिन रिस्पना का पानी अब भी नहर में है। पहले यह नहर खुली थी, अब पाइप के जरिये अंडरग्राउंड कर दी गई है। विजय भट्ट के अनुसार नहर के बजाय पानी रिस्पना में छोड़ दिया जाए और इसमें गिरने वाले सीवरेज बंद कर दिये जाएं तो ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।