देहरादून, (ब्यूरो) : सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के नाम पर दून में करोड़ों रुपए बहाए जा रहे हैं। कई प्लांट बन चुके हैं और कई प्रस्तावित हैं। दून से लेकर मसूरी, ऋषिकेश तक होटलों, ढ़ावों व रेस्टारेंट के लिए एसटीपी कंपलसरी कर दिया गया है। लेकिन, राजधानी दून में तो खुद जल संस्थान लोगों के साथ खिलवाड़ ही नहीं कर रहा है। बल्कि, पर्यावरण को भी खतरे में डाला जा रहा है। शहर में एसटीपी प्लांट होने के बावजूद सीवर टैंकों को एसटीपी के भीतर ही खुले में सीवर उड़ेला जा रहा है, जो नदी में जा रहा है। सवाल यह है कि जब एसटीपी के अंदर में भी खुले में सीवर बहाया जा रहा है, तो एसटीपी का औचित्य ही क्या है। इस सच्चाई से पर्दा उठाती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की एक रिपोर्ट।
अब तक सीवर टैंकर की व्यवस्था
दरअसल, राजधानी दून में अब तक सीमित इलाकों में ही सीवर लाइन की व्यवस्थाएं मौजूद हैं। मिड सिटी को छोड़ दिया जाए तो आउटर के ज्यादातर इलाकों में सीवर टैंक की ही व्यवस्थाएं चल रही हैं। जाहिर है कि जिन इलाकों में सीवर लाइनें नहीं हैं, उन इलाकों से सीवर टैंक खाली कराने के लिए सीवर टैंकर की मदद ली जाती है। ये सीवर टैंक या तो खुले में उड़ेल दिए जाते थे या फिर दून में मौजूद नदियां में इस सीवर को पानी को बहा दिया जाता था। लेकिन, बाद में इसका विरोध होने लगा। इसके बाद अब जल संस्थान की नई व्यवस्था के तहत सीवर टैंकरों को खाली करने के लिए एसटीपी प्लांट में ले जाने की व्यवस्था की है। साफ है कि सीवर टैंकर शहर में मौजूद तमाम एसटीपी प्लांट में टैंकर्स को खाली कराते हैं। इसके लिए सीवर टैंकर मालिकों व संचालकों को सरकारी शुल्क भी भुगतान करना पड़ता है। नदी व खुले स्थानों में सीवर टैंकर खाली करने के लिए चालान और जुर्माने का भी प्रावधान है।
पूरे शहर को जुडऩे में लगेगा वक्त
बावजूद इसके अभी भी राजधानी में ये व्यवस्था पटरी पर नहीं उतर आई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एसटीपी प्लांट में जो सीवर टैंकर खाली करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, एसटीपी प्लांट में सीवर का पानी खाली करने के बजाय नदियों में उड़ेल रहे हैं। जी हां, ये सच है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट को इस बावत सबूत मिले हैं। पता चला है कि दोपहर में शहर के तमाम इलाकों से एसटीपी प्लांट कारगी पहुंचने वाले सीवर टैंकर, सीवर का पानी एसटीपी में खाली करने के बजाय एसटीपी के अंदर ही खुले में बहा रहे हैं। ये एसटीपी बिंदाल नदी से लगती हुई है। साफ ये है कि ये सीवर का पानी भी नदी में ही बह रहा है।
सीवर टैंकरों की यथास्थिति
-दून में दर्जनों की संख्या में सीवर टैंकर्स मौजूद।
-सिटी से रोजाना करीब 50 से 100 सीवर टैंकर एसटीपी में होते हैं खाली।
-जल संस्थान हर टैंकर्स से एसटीपी में पहुंचने पर काटता है 400 रुपये की पर्ची।
-नियमामनुसार हर सीवर टैंकर को एसटीपी में कराना होता है अनलोड।
-एसटीपी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, आम के लिए प्लांट में प्रवेश पर रोक।
विभागीय कर्मचारियों की सबसे बड़ी लापरवाही
बता दें कि जिस एसटीपी प्लांट में इन सीवर के टैंकरों को खाली कराया जा रहा है। उसमें विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। मसलन, विभाग सीवर टैंकर की 400 रुपए की पर्ची काट रहा है। यह कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है, लेकिन, प्लांट में टैंकर को खाली नहीं किया जा रहा है। इसकी बड़ी वजह कार्मिकों की लापरवाही, काम से दूरी बनाना, बिजली व अन्य खर्चे बचाने की बात सामने आ रही है। साफ है कि शहरभर से प्लांट में आने वाले सीवर टैंकर भी खुले में सीवर का पानी खाली कर वहां से रफूचक्कर हो जाते हैं, तो इससे बड़ी बिडंबना और क्या हो सकती है।
संचालित हो रही एसटीपी
एसटीपी क्षमता
मोथरोवाला-1 20
मोथरोवाला-2 20
कारगी 68
इंदिरानगर 5
जाखन 1
सालावाला 0.71
विजय कॉलोनी 0.42
कुल क्षमता---115.13
क्र(यूनिट--एमएलडी में शामिल.क्र)
29 एमएलडी अंडर कंस्ट्रक्शन
शहर में एबीडी के तहत रायपुर, टीएचडीसी यमुना कॉलोनी, बंजारावाला, दौड़वाला, इंद्रापुरी क्षेत्र में अभी करीब 146 किमी सीवर लाइन बिछाए जाने का काम चल रहा है। इसके अलावा दुल्हनी नदी पर 11 एमएलडी का भी एसटीपी निर्माण जारी है। खास बात ये है कि अभी भी मिड सिटी में ही एसटीपी के जरिए सीवर लाइन कनेक्ट हैं। ऐसे में जब इन इलाकों में एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो एसटीपी की क्षमता बढ़ जाएगी।
दीवार तोड़कर पानी किया जा रहा डिस्चार्ज
एसटीपी में जहां पर सीवर टैंकर पानी खाली कराया जा रहा है। आरोप हैं कि एसटीपी कैंपस के एक किनारे पर दीवार तक को तोड़ी गई। उसी के जरिए सीवर का पानी दूसरे स्थानों के लिए डिस्चार्ज किया जा रहा है।
एसटीपी के चारों तरफ बाउंड्रीवॉल है। जिससे एसटीपी से सीवर नदी में जाने का सवाल ही नहीं है। फिर भी यदि ऐसा कोई मामला है, तो इसकी जांच कर संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हिमांशु नौटियाल, एई, जल संस्थान, दून.
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