देहरादून(ब्यूरो): जून की तपती गर्मी में पौधा लगाकर उसे भूल जाना एक ट्रेंड सा बन गया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर बड़े जोश के साथ सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर हजारों पौधे रोपे गए, लेकिन बिना खाद-पानी के ये एक हफ्ते में ही ये पौधे दम तोडऩे लगे हैं। इससे साफ हो गया है कि लोग केवल खानापूर्ति के लिए पौधा लगाते हैं और पौधे के साथ सेल्फी खींचकर वाह-वाही लूटी जा रही है। असल में लोग पर्यावरण के प्रति कितने संवेदनशील हैं, यह बगैर खाद-पानी के दम तोड़ रहे पौधों को देखकर लग जाता है। संवेदनहीन अभियानों को देखकर तो मानो अब पौधे भी कहने लगे हैं कि जब मरना ही था तो मुझे लगाया क्यों था।
सेल्फी खींच-खींच कर डाली
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को आयोजित होता है। इस बार भी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर सरकारी डिपार्टमेंट, स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ ही निजी तौर पर भी पौधरोपण करके अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। इसे देखकर लग रहा था कि सरकार का तो पता नहीं, लेकिन कम से कम लोग जागरूक हो गए हैं। अब शायद पर्यावरण बच जाएगा, लेकिन यह सच्चाई एक हफ्ते में ही सामने आ गई। शहर में कई जगहों पर 5 जून को लगाए गए सूख गए हैं और कई सूखने की कगार पर हैं।
मुड़कर नहीं देखा पौधों का हाल
पौधा लगाने के दौरान हर किसी ने सेल्फी खींच-खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करके पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बखान किया, लेकिन उसके बाद सब पौधों को पानी देना भूल गया। हालांकि अपवादस्वरूप कुछ जगहों पर जरूर प्रॉपर तरीके से पौधों की देखभाल की जा रही है। दैनिक जागरण की टीम ने शहर के उन तमाम इलाकों का दौरान किया, जहां पर पर्यावरण दिवस पर पौधे रोपे गए थे। इस दौरान अधिकांश जगहों पर पौधे सूखे हुए मिले, जबकि कई सूखने की लाइन पर कतार लगाए हैं।
इंसान तप रहा, पौधे कहां बचेंगे
माना कि आजकल भीषण गर्मी है। दून में भी टेंपरेचर 44 डिग्री के पार चले गया है। सूर्य की तपिस से आदमी नहीं बच पा रहा, जिसके पास सभी संसाधन हैं, तो पेड़-पौधे कहां से बचेंगे, लेकिन सवाल यह है कि जब पता था कि गर्मी में पेड़ सर्वाइव नहीं करते, तो लगाए क्यों थे। बरसात आने का इंतजार क्यों नहीं किया गया। यदि लगाए, तो अब उन्हें खाद-पानी देने में क्यों लापरवाही बरत रहे हैं। क्या पौधा लगा देना भर ही पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाना है। पौधों का संरक्षण करना दायित्व नहीं है। जब पौधा आपने लगाया, तो इसकी देखरेख करने कौन आए।
पथरीली जमीन पर रोप दिए पौधे
भले ही पौधे रस्मआदयगी के लिए लगाए गए हों, लेकिन ऐसी जगह पर लगाए जाने थे, जहां जमीन में नमी हो, जिससे पानी की कमी होने के बाद वह नमी से पानी सोख लेते हैं, लेकिन कई लोगों ने पथरीली जगहों पर पौधे लगाकर इतिश्री कर ली।
इन जगहों पर रोपे गए थे पौधे
गांधी पार्क
एमकेपी कॉलेज
रेंजर्स ग्राउंड
सहस्रधारा रोड
चकराता रोड
रायपुर रोड
हरिद्वार रोड
स्कूल कैंपस
सरकारी ऑफिस
पर्यावरण प्रेमियों ने कही ये खास बातें
- पौधा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है, इसका संरक्षण करना बड़ा काम है।
- पौधा हमेशा नमी वाले स्थानों पर ही लगाए जाने चाहिए।
- पौधे लगाने का चयन हमेशा बरसात के दौरान करना चाहिए।
- खास मौके पर यदि पौधे लगाए जाते हैं तो उनकी विशेष देखभाल करें।
- जब पौधा बचेगा ही नहीं, तो उसे लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
- घरों के साथ ही अपने आस-पास सड़क किनारे पौधे अवश्य रोपित करें
- पौधों से पर्यावरण ठीक होता है और पर्यावरण से शुद्ध हवा मिलती है।
- हर व्यक्ति जीवन में पौधे अवश्य लगाएं और उनका संरक्षण भी करें।
पौधों की देखभाल बच्चे की तरह करें
पौधे बच्चों की तरह होते हैं। इनकी जितनी परवरिश करेंगे उतने ही सर्वाइव करेंगे। हम एक पेड़ को एक बच्चा मानते हैं और एक-एक पेड़ से जंगल तैयार किया है। ऐसा सब सोचें, तभी पौधे जिंदा रहेंगे।
जगह सिंह जंगली, पर्यावरणविद्
पेड़-पौधों का जीवन में सबसे महत्वपूर्ण काम है। आज हम जो भी सांस ले पा रहे हैं, वह सब पेड़ों की बदौलत है। पौधे हमेशा बरसात में लगाए जाने चाहिए, जिससे उनकी नियमित सिंचाई हो सके।
सचिदानंद भारती, पर्यावरणविद्
पेड़ हमेशा ऐसे स्थानों पर लगाए जाएं जहां पर नमी हो। पथरीली जगहों पर पौधे कम सर्वाइव कर पाते हैं और इस जगह पर पौधे को जीवित रखने के लिए लगातार सिंचाई करना जरूरी होता है।
दीपक भट्, जियोलॉजिस्ट
पेड़-पौधे लगाना आज रस्म हो गई। लोग रस्म अदायगी के लिए पौधे लगाते तो है, लेकिन उनकी परवरिश नहीं करते। जिस दिन लोग पेड़ों को अपना समझने लगेंगे उस दिन हर तरफ हरियाली नजर आएगी।
एससी पंत, रिटायर्ड एमडी, पेयजल निगम
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