एक्सीडेंट में अपनों को खोने वालों ने की पब्लिक से मार्मिक अपील
देहरादून (ब्यूरो): अक्सर देखा जा रहा है कि बच्चे बगैर हेलमेट के सफर करना अपनी शान समझ रहे हैं। कई बार देखा गया है कि हेलमेट स्कूटी-बाइक पर लटका कर फर्राटे भरते हैं, लेकिन जब एक्सीडेंट के कारण चोट या मौत हो जाती है तब समझ में आता है कि हेलमेट कितना जरूरी है। हादसों के शिकार आधे लोग हेलमेट न पहन कर मौत के मुंह में जा रहे हैं, जबकि आधे लोगों की जिंदगी हेलमेट से बचती है।
हेलमेट पहना होता तो आज बोल पाता
सिटी के देहराखास निवासी राकेश अग्रवाल एक्सीडेंट के दिन को याद करते ही फफक पड़ते हैं। करीब 20 साल पहले रुड़की जाते समय स्कूटर से मोहंड के पास उनका एक्सीडेंट हो गया था। हेलमेट न पहनने से सिर पर चोट लगने से उनका शरीर काम नहीं करता। वह बोल नहीं पाते, तो लिखकर अपनी बात कहते हैं। उनके दो बच्चे हैं। जिंदादिल राकेश अग्रवाल की खासियत यह है कि लाठी के सहारे चलने के बावजूद वह पर्यावरण संबंधी विभिन्न सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहते हैं। वह अंग्रेजी मैग्जीन जेएनयू के लिए लिखते हैं। उनके दो बेटे हैं। कहते हैैं कि छोटी सी भूल ने उन्हें उम्रभर पैरालाइज बनाकर छोड़ दिया। वह हर किसी को हेलमेट जरूर पहनने को कहते हैं।
हेलमेट नहीं था, जान चले गई
आशीर्वाद एनक्लेव निवासी संगीता भारद्वाज कहती हैं कि 27 साल का प्रमोद उनका सबसे छोटा भाई था। वह बच्चों को ताइक्वाडों सिखाता था। वह सबका लाडला था, लेकिन गोरखपुर चौक के पास 12 अक्तूबर को बाइक से एक्सीडेंट हो गया था, सिर पर चोट की वजह से उसकी जान चली गई। संगीता का कहना है कि काश प्रमोद ने हेलमेट पहना होता तो आज वह हमारे बीच होता। मैं लोगों से यही अपील करूंगी कि टू-व्हीलर्स पर हेलमेट जरूर पहनें। हेलमेट जिंदगी की सबसे बड़ी सुरक्षा है।
हेलमेट होता तो बच जाती जान
एक माह पूर्व 2 नवंबर को स्कूटी पर बाजार जा रहे गोविंदनगर सहस्रधारा रोड निवासी राहुल को ओवलोडेड ट्रक ने टक्कर मार कर बुरी तरह घायल कर दिया था। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि राहुल ने भी हेलमेट नहीं पहना था। राहुल की बहन ईरा का कहना है कि पुलिस के चालान से बचने के लिए नहीं बल्कि जिंदगी बचाने के लिए हेलमेट जरूर पहना चाहिए। जब जिंदगी रहेगी, तभी सब कुछ है।
हेलमेट पहनना कभी न भूलें
आराघर निवासी प्रमोद कुमार कहते हैं कि टू-व्हीलर पर हेलमेट पहनना कभी नहीं भूलें। हेलमेट न पहनना मतलब मौत को दावत देना है। प्रमोद कहते हैं कि उन्होंने भी पिछले साल दिसंबर में ही अपने 27 वर्षीय भाई विनोद को खोया है। बलवीर रोड पर एक बोलेरो कार ने उनके भाई की बाइक को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी सिर पर गंभीर चोटें आई थी। उनका कहना है कि हादसों को टाला नहीं जा सकता है, लेकिन सुरक्षा के उपाय किए जा सकते हैं। हेलमेट पहनना यानि जिंदगी की सुरक्षा।