देहरादून (ब्यूरो)। पिछले वर्ष अक्टूबर के महीने हुई बेमौसमी बारिश के बाद जोशीमठ के लोगों ने अपने घरों की दीवारें, छतें और फर्श चटकने की घटनाएं नोट की। लोगों ने कई जगह सड़कों पर धंसाव भी महसूस किया। ये दरारें दिन प्रति दिन चौड़ी होने लगी और सड़कों पर गहरे गड्ढे नजर आने लगे। लोगों ने संबंधित अधिकारियों से इस बारे में शिकायत की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

छावनी बाजार ज्यादा प्रभावित
वैसे तो पूरे ही शहर में अलग-अलग जगहों पर घरों और सड़कों पर दरारें पड़ रही हैं, लेकिन जोशीमठ का छावनी बाजार सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां दर्जनभर घर पूरी तरह असुरक्षित हो गये हैं। घरों की दीवारों की दरारें इतनी चौड़ी हो गई हैं कि उसने बाहर देखा जा सकता है। फर्श की दरारों में लोग लगातार पत्थर और मलबा भर रहे हैं, लेकिन कुछ दिन बाद यह मलबा और पत्थर गायब हो जाते हैं। यहां कुछ परिवारों ने घर छोड़ दिये हैं, जबकि कुछ परिवार इन्हीं असुरक्षित घरों में रह रहे हैं।

पावर प्रोजेक्ट की टलन हो सकती है कारण
स्थानीय लोगों की मांग के बावजूद शहर के इस धंसाव को लेकर अब तक कोई जांच नहीं की गई है। फिलहाल इस बारे में केवल संभावनाएं जताई जा रही हैं। ज्यादातर लोग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरंग को इसका कारण मानते हैं। यह वही टलन है, जिसमें 7 फरवरी, 2021 की जल प्रलय के दौरान सैकड़ों मजदूर फंस गये थे। 140 से ज्यादा मजदूर मारे गये थे और कई की डेडबॉडी आज तक नहीं मिली है।

अब बंद है टनल
7 फरवरी 2021 की घटना के बाद यह टनल बंद हो गई थी। टनल के दोनों सिरे अब पूरी तरह बंद हैं। जोशीमठ के सोशल एक्टिविस्ट अतुल सती आशंका जताते हैं कि टनल के दोनों छोर बंद हो जाने के कारण संभवत: वहां भरी गैस के प्रेशर से जमीन धंस रही है। कुछ लोग यह भी आशंका जताते हैं कि 7 फरवरी की घटना के बाद धौली गंगा ने जोशीमठ के नीचे काफी कटान किया है। हो सकता है, इसीलिए ऐसा हो रहा हो।

क्या कहते हैं जियोलॉजिस्ट
उत्तराखंड फॉरेस्ट्री एंड हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट डॉ। एसपी सती कहते हैं कि बिना भूगर्भीय जांच के इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है। वे कहते हैं कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की टनल कई दूसरी जगहों पर भी जमीन धंसने का कारण बनी है। यहां भी यह टनल कारण हो सकती है। लेकिन, ऐसा पक्के तौर पर जांच के बाद ही कहा जा सकता है। वे कहते हैं कि इतनी बड़ी हलचल के बाद भी अब तक जांच न होना चिन्ताजनक है।

क्या कहते हैं प्रभावित लोग
पिछले साल अक्टूबर में अचानक दरारें आने लगी। हमने कई अधिकारियों से शिकायत की लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
भवानी लाल, प्रभावित

मेरा घर पूरी तरह टूट गया है। हम घर छोड़कर किराये के मकान में गये थे, लेकिन किराया नहीं है, इससे वापस इसी घर में आ गये हैं।
विनिता देवी

कोई हमारे परेशानी सुनने को तैयार नहीं है। हमारा पूरा मोहल्ला नीचे खिसक रहा है। हर घर में दरार आ गई हैं। सभी जगह शिकायत कर चुके हैं।
गीता देवी